प्रयागराज: सोमवती अमावस्या के मौके पर श्रद्धालु व्रत रखकर स्नान, दान व पूजन करते हैं. सोमवार सुबह से ही संगम नगरी प्रयागराज में गंगा और यमुना घाट पर श्रद्धालु पूजा पाठ करने में जुटे हैं. बता दें कि सोमवती अमावस्या पर संगम स्नान का विशेष महत्व है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से रोगों और पापों से मुक्ति मिलती है. वहीं सोमवती अमावस्या पर श्रद्धालु कोरोना से मुक्ति की भी मां गंगा से प्रार्थना कर रहे हैं.
श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
संगम नगरी में गंगा व यमुना में डुबकी लगाने का सिलसिला सोमवार को सुबह से शुरू हो गया. सूर्योदय के बाद संगम के अलावा गंगा के रामघाट, दारागंज, अक्षयवट में स्नान करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है. सोमवती अमावस्या पर पीपल की पूजा करने का भी विधान है. व्रती महिलाएं पीपल में दूध, पुष्प, अक्षत, चंदन अर्पित करके 'नमो भगवते वासुदेवाय' का जप करते हुए 108 बार परिक्रमा कर कच्चा सूत लपेट रही हैं. यमुना के बलवाघाट के बारादरी घाट, गऊघाट, ककहरा घाट, सरस्वती घाट पर व्रती महिलाएं परिवार के संग स्नान के लिए पहुंच रही हैं. सोमवती अमावस्या पर पंचग्रहीय योग का भी दुर्लभ संयोग है.
पंचग्रहीय योग का दुर्लभ संयोग
गंगा व यमुना घाटों पर स्नान करके सूर्यदेव को अर्घ्य देकर दान व पूजन के बाद महिलाएं पीपल के वृक्ष की स्तुति कर रही हैं. सोमवती अमावस्या पर आज पंचग्रहीय योग का दुर्लभ संयोग भी बना है. सोमवती अमावस्या पर वृश्चिक राशि पर सूर्य, चंद्रमा, बुध, शुक्र और केतु ग्रह का संचरण है. इस योग से शुभ मुहूर्त में स्नान-दान करने से मानसिक, शारीरिक व आर्थिक बाधाओं से मुक्ति मिलेगी. पीपल भगवान विष्णु स्वरूप हैं.
पितृदोष से मिलती है मुक्ति
सोमवती अमावस्या पर पितरों के निमित्त श्राद्ध करके ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान देने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है. इसी कारण संगम तट पर सुबह से श्राद्ध का सिलसिला चल रहा है. सनातन धर्मावलंबी स्नान के बाद तीर्थ-पुरोहितों के मंत्रोच्चार के बीच श्राद्ध करके पितरों का भावपूर्ण नमन करके उनका आशीष मांग रहे हैं.