प्रयागराज : कौशांबी जिले में बच्ची की मौत को लेकर प्रशासन ने दो सदस्यीय टीम बनाकर जांच के आदेश तो जरूर दे दिए हैं, लेकिन परिवार को प्रशासन की जांच पर भरोसा नहीं है. जिसके बाद पीड़ित परिवार के साथ मिलकर ग्रामीणों ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि अगर 3 दिन के अंदर इंसाफ नहीं मिला तो खुद जाकर वो अस्पताल को सील करने का काम करेंगे.
प्रशासन को दिया तीन दिन का अल्टीमेटम
भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष अनुज सिंह का कहना है कि उन्होंने 3 दिन का अल्टीमेटम दिया है अगर 3 दिन में अस्पताल को प्रशासन द्वारा सील नहीं किया जाता है तो यह काम वो सब ग्रामीण किसान मिलकर करेंगे.
अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
दरअसल, करेली निवासी मुकेश अपनी 3 साल की मासूम बेटी खुशी को कौशाम्बी के पिपरी थाना अंतर्गत रावतपुर यूनाइटेड मेडिसिटी में 20 दिन पूर्व भर्ती कराया था. परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के 13 दिन बाद बच्ची को बिना टांका लगाए अस्पताल से निकाल दिया गया. 2 मार्च को मुकेश अपनी बच्ची को लेकर कई अस्पतालों में गए, लेकिन किसी ने भी बच्ची को एडमिट नहीं किया.
अस्पताल गेट पर तड़पकर मर गई बच्ची
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बच्ची के इलाज के दौरान लगभग 6 हजार रुपये लिए गए थे, जबकि परिजनों का कहना है कि थोड़े-थोड़े करके उन लोगों ने ढाई लाख रुपए अस्पताल में जमा किए, जिसकी रसीद भी इनको नहीं दी गई. परिजनों का आरोप है कि बच्ची को लेकर वो दोबारा यूनाइटेड मेडिसिटी में गए तो उनको गेट के अंदर जाने दिया गया. इस बीच गेट पर ही बच्ची ने अपना दम तोड़ दिया. परिजन गेट पर विनती करते रहे, लेकिन उनकी सुध लेने वाला वहां कोई नहीं था.
अस्पताल को सील करने की उठी मांग
बच्ची की मौत के बाद अब पीड़ित परिवार का दुख बांटने के लिए राजनीतिक पार्टियों भीड़ लग रही है. हर कोई, चाहे वह किसी संगठन का हो या आसपास के गांव से आए लोग हों, सब के जुबां पर केवल इतनी मांग है प्रशासन से कि अस्पताल को सील किया जाए, ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो. यहां आए कुछ संगठन के लोगों का सीधे तौर पर कहना है कि प्रशासन को अगर इंसाफ करना होता तो मासूम की मौत का जो भी जिम्मेदार है या जिसके ऊपर एफआईआर हुई है उस पर 304 नहीं 302 का मुकदमा दर्ज होना चाहिए था.
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ये है पूरा मामला-
परिजनों ने बताया कि बच्ची की आंत के ऑपरेशन के नाम पर अस्पताल ने पहले 50 हजार रुपये और ऑपरेशन के समय 1 लाख रुपये जमा कराए थे. 10 दिन बाद अस्पताल वालों ने कहा कि बच्ची के पेट में पस आ गया है, दोबारा ऑपरेशन करना पड़ेगा. फिर परिजनों ने इनकी बात मानकर 1 लाख रुपये जमा किए. ऑपरेशन के दूसरे दिन जब परिजनों ने डॉक्टर से ड्रेसिंग के लिए कहा तो ड्रेसिंग करते समय डॉक्टरों ने कहा कि इनको दूसरे अस्पताल में भर्ती करा लो या 5 लाख की व्यवस्था करो. आनन-फानन में परिजन बच्ची को लेकर शहर के चिल्ड्रन हॉस्पिटल में भर्ती कराया. डॉक्टरों ने देखा तो उसका पेट खुला हुआ था, टाके भी नहीं लगे थे. तब डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची दो-तीन दिन से ज्यादा जिंदा नहीं रहेगी. इसे दिल्ली या लखनऊ ले जाओ या उसी अस्पताल में एडमिट कराओ. परिजनों का आरोप है कि जब वे बच्ची को लेकर दोबारा यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल में गए तो उनको गेट के अंदर जाने नहीं दिया गया. इस बीच गेट पर ही बच्ची की मौत हो गई. बाद में सोशल साइट्स पर प्रशासनिक अधिकारियों को टैग करके इस मामले में इंसाफ की मांग की. जिसके बाद शनिवार देर रात जिलाधिकारी प्रयागराज ने जांच के आदेश दे दिए.
डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज
कौशांबी के थाना पिपरी में डॉक्टर अंकित के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. सीएमओ का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है. 2 सदस्य टीम बनाई गई है. इसमें एडीएम सिटी भी शामिल हैं.
दूसरी तरफ इस मामले में लोगों का कहना है कि अभी तक इस मामले में किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है. किसान संगठन से लेकर क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन को 3 दिन का अल्टीमेटम दिया है, अगर प्रशासन तीन दिन में अस्पताल को सील करने की कार्रवाई नहीं करता है तो वो खुद अस्पताल को सील करेंगे.