प्रयागराज: डॉक्टर की लापरवाही से हुई मासूम की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. प्रयागराज के जिलाधिकारी ने 2 सदस्यीय टीम बनाकर जांच तो जरूर बैठा दी है लेकिन, अभी तक खुशी को न्याय नहीं मिल पाया है. इसको लेकर मंगलवार को हजारों की संख्या में ग्रामीणों ने अस्पताल गेट पर पहुंच कर धरना प्रदर्शन किया और हाथों में मासूम को न्याय चाहिए की तख्ती लेकर बैठे रहे.
अस्पताल के बाहर बच्ची के न्याय की मांग को लेकर करैली के करेंदा गांव के ग्रामीणों ने अस्पताल गेट पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है. यह प्रदर्शन भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले शुरू हुआ. खुशी की न्याय की मांग को लेकर बैठे इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि अस्पताल के मालिक का नाम एफआईआर में क्यों नहीं दर्ज हुआ.
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष का कहना है कि प्रशासन द्वारा निष्पक्ष जांच कराई जाए, क्योंकि 4 दिन बीत गए लेकिन, अभी तक डीएम द्वारा गठित की गई टीम ने कोई जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी है. मामला कौशांबी के पिपरी थाना क्षेत्र में दर्ज है.
ये है पूरा मामला
बता दें कि करैली निवासी मुकेश अपनी 3 साल की मासूम बेटी खुशी को कौशांबी के पिपरी थाना अंतर्गत रावतपुर यूनाइटेड मेडिसिटी में 20 दिन पूर्व भर्ती कराया था. परिजनों का आरोप है कि ऑपरेशन के 13 दिन बाद बच्ची को बिना टांका लगाए अस्पताल से निकाल दिया गया. 2 मार्च को मुकेश अपने बच्चों को लेकर कई अस्पतालों में गए लेकिन, किसी ने भी बच्ची को एडमिट नहीं किया.
अस्पताल प्रशासन का कहना है कि बच्ची के इलाज के दौरान लगभग 6 हजार दिए गए थे लेकिन, परिजनों का कहना है कि थोड़े-थोड़े करके इन लोगों ने लगभग ढाई लाख रुपये अस्पताल में जमा किए थे. बच्ची को परिजन दोबारा लेकर आए तो उनको गेट के अंदर नहीं जाने दिया गया और बच्ची ने गेट पर ही दम तोड़ दिया. अस्पताल गेट पर बैठे लोगों को केवल बच्ची के साथ न्याय का इंतजार है. उनका कहना है कि यह तब तक बैठे रहेंगे जब तक बच्ची को न्याय न मिल जाए.