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आईईआरटी कर्मचारियों की बर्खास्तगी मामले में मंडलायुक्त को हाईकोर्ट से अवमानना नोटिस जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आईईआरटी कर्मचारियों की बर्खास्तगी मामले मंडलायुक्त और संस्थान के निदेशक को अवमानना नोटिस जारी कर एक माह में जवाब मांगे है. वहीं, आदेश के अनुपालन के लिए एक अवसर भी दिया है.

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Published : Aug 19, 2023, 10:23 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड रूरल टेक्नोलॉजी प्रयागराज के कर्मचारियों की बर्खास्तगी व डिस्चार्ज नोटिस जारी नहीं करने का आदेश दिया था. इस आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत और संस्थान के निदेशक सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सभी से अवमानना याचिका पर एक माह में जवाब मांगा है. कोर्ट ने आदेश के अनुपालन के लिए एक अवसर भी दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर अवमानना का आरोप तय किया जाएगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुशील कुमार शर्मा व चार अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार याची वर्ष 1990 के पहले से संस्थान में कार्य कर रहे हैं. उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर की गई थी. याची नियमित होने व नियमित वेतन पानी के हकदार हैं. लेकिन संस्थान ने उनका अनुबंध समाप्त करते हुए सभी को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. संस्थान कर्मचारियों के साथ नया अनुबंध करना चाहता है. जिसके जरिए नए कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना है. याचियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी. इसी के साथ आरोप है कि इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड रूरल टेक्नोलॉजी प्रयागराज के कर्मचारियों की बर्खास्तगी व डिस्चार्ज नोटिस जारी नहीं करने का आदेश दिया था. इस आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत और संस्थान के निदेशक सहित अन्य को अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने सभी से अवमानना याचिका पर एक माह में जवाब मांगा है. कोर्ट ने आदेश के अनुपालन के लिए एक अवसर भी दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि आदेश का अनुपालन नहीं किए जाने पर अवमानना का आरोप तय किया जाएगा.

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने सुशील कुमार शर्मा व चार अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है. मामले के तथ्यों के अनुसार याची वर्ष 1990 के पहले से संस्थान में कार्य कर रहे हैं. उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर की गई थी. याची नियमित होने व नियमित वेतन पानी के हकदार हैं. लेकिन संस्थान ने उनका अनुबंध समाप्त करते हुए सभी को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. संस्थान कर्मचारियों के साथ नया अनुबंध करना चाहता है. जिसके जरिए नए कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना है. याचियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी. इसी के साथ आरोप है कि इस आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है.

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