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गोरखपुर DM को अवमानना नोटिस जारी, आदेश के पालन का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश वीके बिडला ने अवमानना के मामले में एक्शन लेते हुए गोरखपुर के जिलाधिकारी विजयेन्द्र पांडियन व बीएसए के खिलाफ नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने आदेश के पालन के लिए एक माह का समय दिया है और कहा है कि हलफनामा नहीं दिया तो स्वयं हाजिर हों.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Nov 25, 2020, 7:21 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी गोरखपुर के विजयेन्द्र पांडियन व बीएसए को अवमानना नोटिस जारी की है. कोर्ट ने कहा है कि यदि एक माह में आदेश का पालन कर हलफनामा नहीं देते तो कोर्ट इन्हें तलब कर अवमानना आरोप निर्मित करेगी. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया अवमानना का केस बनता है. कोर्ट ने आदेश के पालन के लिए एक माह का समय दिया है और कहा है कि हलफनामा नहीं दिया तो स्वयं हाजिर हों.

यह आदेश न्यायाधीश वीके बिडला ने अनुदेशक प्रभु शंकर व छह अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है. इससे पहले कोर्ट ने जिलाधिकारी व बीएसए को याचियों को अंशकालिक अनुदेशक पद का कार्य करने देने और मानदेय का भुगतान करने का निर्देश दिया था, जिसकी अवहेलना करने पर यह याचिका दायर की गई थी.

याचियों का कहना है कि अंशकालिक अनुदेशक पद पर आठ साल कार्य करने के बाद यह कहते हुए नवीनीकरण करने से इनकार कर दिया गया कि स्कूल में 100 से कम बच्चे होने के कारण उनकी जरूरत नहीं है. याचियों की नियुक्ति कंप्यूटर, कला व शारीरिक शिक्षा कार्य के लिए की गई थी.

कोर्ट ने कहा कि ये कोई नियम नहीं है कि 100 बच्चे होने पर ही अनुदेशक रखे जाएंगे. इसलिए इनका नवीनीकरण किया जाए. कोर्ट ने निर्धारित मानदेय से कम भुगतान करने को चपरासी के न्यूनतम वेतन से कम भुगतान को शोषण माना था और सरकार से जवाब मांगा है. इसकी याचिका लंबित है. अंतरिम आदेश का पालन न करने पर अवमानना केस दायर किया गया है. इसकी सुनवाई एक माह बाद होगी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी गोरखपुर के विजयेन्द्र पांडियन व बीएसए को अवमानना नोटिस जारी की है. कोर्ट ने कहा है कि यदि एक माह में आदेश का पालन कर हलफनामा नहीं देते तो कोर्ट इन्हें तलब कर अवमानना आरोप निर्मित करेगी. कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया अवमानना का केस बनता है. कोर्ट ने आदेश के पालन के लिए एक माह का समय दिया है और कहा है कि हलफनामा नहीं दिया तो स्वयं हाजिर हों.

यह आदेश न्यायाधीश वीके बिडला ने अनुदेशक प्रभु शंकर व छह अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है. इससे पहले कोर्ट ने जिलाधिकारी व बीएसए को याचियों को अंशकालिक अनुदेशक पद का कार्य करने देने और मानदेय का भुगतान करने का निर्देश दिया था, जिसकी अवहेलना करने पर यह याचिका दायर की गई थी.

याचियों का कहना है कि अंशकालिक अनुदेशक पद पर आठ साल कार्य करने के बाद यह कहते हुए नवीनीकरण करने से इनकार कर दिया गया कि स्कूल में 100 से कम बच्चे होने के कारण उनकी जरूरत नहीं है. याचियों की नियुक्ति कंप्यूटर, कला व शारीरिक शिक्षा कार्य के लिए की गई थी.

कोर्ट ने कहा कि ये कोई नियम नहीं है कि 100 बच्चे होने पर ही अनुदेशक रखे जाएंगे. इसलिए इनका नवीनीकरण किया जाए. कोर्ट ने निर्धारित मानदेय से कम भुगतान करने को चपरासी के न्यूनतम वेतन से कम भुगतान को शोषण माना था और सरकार से जवाब मांगा है. इसकी याचिका लंबित है. अंतरिम आदेश का पालन न करने पर अवमानना केस दायर किया गया है. इसकी सुनवाई एक माह बाद होगी.

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