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प्रयागराज: उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हुई छठ पूजा

यूपी के प्रयागराज में भी छठ पर्व का समापन हो गया. इस दौरान व्रती महिलाओं ने संगम तट पर सूर्य की उपासना की. महिलाओं ने सिंदूर की परंपरा को निभाते हुए एक-दूसरे को सिंदूर भी लगाया.

संगम तट पर छठ पूजा.
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Published : Nov 3, 2019, 10:00 AM IST

प्रयागराज: सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा के मौके पर संगम सहित गंगा और यमुना घाटों पर व्रती महिलाओं की भीड़ नजर आई. उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ रविवार को छठ पूजा का पर्व का समापन हो गया. सूर्य की पहली किरण के साथ ही पानी में खड़ी व्रती महिलाओं और उनके परिजनों ने सूप में कच्चा दूध लेकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर उनसे सुख सौभाग्य और परिवार के लिए प्रार्थना की और आशीष मांगा.

संगम तट पर छठ पूजा.

इस दौरान व्रती महिलाओं ने सिंदूर की परंपरा निभाते हुए एक दूसरे को छठी मां का आशीर्वाद के रूप में सिंदूर लगाया और प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया. इसके पहले चार दिनों तक चले छठ पूजा के इस पर्व के तीसरे दिन परिवार और पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं का जनसैलाब गंगा यमुना घाटों पर उमड़ा.

पढ़ें- वाराणसी: उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ छठ महापर्व

व्रती महिलाओं ने घाटों पर वेदी की स्थापना करके जल और दूध से उसकी पूजा-अर्चना की. साथ ही पूजन सामग्री लेकर गन्ने के मंडप तले मुहूर्त के अनुसार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर एवं छठी मां से पुत्र और परिजनों के लिए सुख-समृद्धि की प्रार्थना की और रात भर व्रती महिलाओं ने अखंड दीप जलाए और रात भर नाचेगा कर देवी महिमा का बखान भी किया. नहाए खाए से शुरू हुए लोग परंपरा के महापर्व की खुशियां व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं में देखते ही बनी.

पढ़ें- आजमगढ़: छठ पर्व पर मुंबई से आती हैं सुनीता, 'लेट' कर पहुंचती हैं अर्घ्य देने

व्रत के दौरान बड़ी बुजुर्ग व्रती महिलाओं ने पहली बार व्रत रख रहीं महिलाओं को झोली भरकर उन्हें न सिर्फ परंपरा से आत्मसात कराया, बल्कि अपना आशीष देकर आत्मीय जनों को भी जोड़ने की कोशिश की. सुबह अर्घ्य देने की उत्सुकता संगम घाट पर महिलाओं में खुशी देखने को मिली. छठ पूजा को देखते हुए गंगा यमुना सहित संगम सहित सभी प्रमुख घाटों पर भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था साफ-सफाई और प्रकाश के इंतजाम किये गए थे.

प्रयागराज: सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा के मौके पर संगम सहित गंगा और यमुना घाटों पर व्रती महिलाओं की भीड़ नजर आई. उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ रविवार को छठ पूजा का पर्व का समापन हो गया. सूर्य की पहली किरण के साथ ही पानी में खड़ी व्रती महिलाओं और उनके परिजनों ने सूप में कच्चा दूध लेकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर उनसे सुख सौभाग्य और परिवार के लिए प्रार्थना की और आशीष मांगा.

संगम तट पर छठ पूजा.

इस दौरान व्रती महिलाओं ने सिंदूर की परंपरा निभाते हुए एक दूसरे को छठी मां का आशीर्वाद के रूप में सिंदूर लगाया और प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया. इसके पहले चार दिनों तक चले छठ पूजा के इस पर्व के तीसरे दिन परिवार और पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं का जनसैलाब गंगा यमुना घाटों पर उमड़ा.

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व्रती महिलाओं ने घाटों पर वेदी की स्थापना करके जल और दूध से उसकी पूजा-अर्चना की. साथ ही पूजन सामग्री लेकर गन्ने के मंडप तले मुहूर्त के अनुसार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर एवं छठी मां से पुत्र और परिजनों के लिए सुख-समृद्धि की प्रार्थना की और रात भर व्रती महिलाओं ने अखंड दीप जलाए और रात भर नाचेगा कर देवी महिमा का बखान भी किया. नहाए खाए से शुरू हुए लोग परंपरा के महापर्व की खुशियां व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं में देखते ही बनी.

पढ़ें- आजमगढ़: छठ पर्व पर मुंबई से आती हैं सुनीता, 'लेट' कर पहुंचती हैं अर्घ्य देने

व्रत के दौरान बड़ी बुजुर्ग व्रती महिलाओं ने पहली बार व्रत रख रहीं महिलाओं को झोली भरकर उन्हें न सिर्फ परंपरा से आत्मसात कराया, बल्कि अपना आशीष देकर आत्मीय जनों को भी जोड़ने की कोशिश की. सुबह अर्घ्य देने की उत्सुकता संगम घाट पर महिलाओं में खुशी देखने को मिली. छठ पूजा को देखते हुए गंगा यमुना सहित संगम सहित सभी प्रमुख घाटों पर भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था साफ-सफाई और प्रकाश के इंतजाम किये गए थे.

Intro:प्रयागराज में सूर्य उपासना के चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा के मौके पर संगम सहित गंगा और यमुना घाटों पर व्रती महिलाओं की भीड़ नजर आई उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ आज छठ पूजा का पर्व का समापन हो गया सूर्य की पहली किरण के साथ ही पानी में खड़ी व्रती महिलाओं और उनके परिजनों ने सूप में कच्चा दूध लेकर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने कर उनसे सुख सौभाग्य और परिवार के लिए प्रार्थना की और आशीष मांगा।


Body: इस दौरान व्रती महिलाओं ने सिंदूर की परंपरा निभाते हुए एक दूसरे को छठी मां का आशीर्वाद के रूप में सिंदूर लगाया और प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण किया इसके पहले चार दिनों तक चले छठ पूजा के इस पर्व के तीसरे दिन परिवार और पुत्र की मंगल कामना के लिए व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं का जनसैलाब गंगा यमुना घाटों पर उमड़ा। इस दौरान व्रती महिलाओं ने घाटों पर वेदी की स्थापना करके जल और दूध से उसकी पूजा-अर्चना की और दीप जलाकर विधि विधान से पूजा अर्चना की कलर्स और पूजन सामग्री लेकर गन्ने के मंडप तले मुहूर्त के अनुसार अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर एवं छठी मां से पुत्र और परिजनों के लिए सुख-समृद्धि की प्रार्थना की, और रात भर व्रती महिलाओं ने अखंड दीप जलाए और रात भर नाचेगा कर देवी महिमा का बखान भी किया नहाए खाए से शुरू हुए लोग परंपरा के महापर्व की खुशियां व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं में देखते ही बनी।


Conclusion:व्रत के दौरान बड़ी बुजुर्ग भर्ती महिलाओं ने पहली बार व्रत रख रही महिलाओं की होली भरकर उन्हें न सिर्फ परंपरा से आत्मसात कराया बल्कि अपना आशीष देकर आत्मीय जनों को भी जोड़ने की कोशिश की सुबह अर्ध्य देने की उत्सुकता संगम घाट पर महिलाओं में खुशी देखने को मिली। छठ पूजा को देखते हुए
गंगा यमुना सहित संगम सभी प्रमुख घाटों पर भीड़ को देखते हुए प्रशासन की तरफ से सुरक्षा व्यवस्था साफ-सफाई और प्रकाश के इंतजाम किये गए थे।

बाईट: व्रती महिलाएं

प्रवीण मिश्र
प्रयागराज।
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