प्रयागराजः नैनी थाना क्षेत्र में स्थित शुआट्स एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में इन दिनों पुलिस के साथ ही यूपी एसटीएफ का आना-जाना आम हो गया है. यूनिवर्सिटी के चांसलर और वाइस चांसलर के साथ ही अन्य जिम्मेदारों को पुलिस तलाश रही है. फतेहपुर थाना पुलिस की टीम ने तो मंगलवार को चांसलर और वीसी के आवास पर वारंट चस्पा करने की कार्रवाई भी की है. लगातार इस तरह की कार्रवाई से विश्वविद्यालय के शिक्षा का कार्य भी बाधित हो रहा है, लेकिन यूनिवर्सिटी के पीआरओ रमाकांत का कहना कि इस पूरी कार्रवाई का पढ़ाई और छात्रो पर कोई असर नहीं है. विश्वविद्यालय में पठन पाठन का कार्य पहले की तरह ही चल रहा है, लेकिन ऐसे में यह भी सवाल उठता है कि इस तरह के माहौल में पढ़ाई सही ढंग से कैसे चल रही होगी.
प्रयागराज के सौ साल से ज्यादा पुराने शिक्षा के इस मंदिर में यूनिवर्सिटी के चांसलर और वाइस चांसलर के साथ ही दूसरे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ 5 मामलों की जांच यूपी एसटीएफ कर रही है. जबकि फतेहपुर पुलिस धर्मांतरण के आरोपों की जांच कर रही है. जिस मामले में वीसी समेत अन्य अफसरों के घरों पर मंगलवार की शाम को पुलिस दबिश देने भी पहुंची थी, लेकिन विश्वविद्यालय के वीसी व अन्य कोई भी नामजद आरोपी घरों पर नहीं मिले.
इसके बाद फतेहपुर पुलिस ने सभी आरोपियों के घरों पर नोटिस चस्पा करने की कार्यवाई की. शुआट्स में सर्वोच्च पदों पर तैनात सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आधा दर्जन मामलों की जांच पुलिस और एसटीएफ मिलकर कर रही है. यूपी एसटीएफ जहां पांच मामलों की जांच कर रही है. वहीं, फतेहपुर पुलिस वीसी समेत अन्य जिम्मेदार लोगों पर लगे धर्मान्तरण के मामले की जांच कर रही है.
यूनिवर्सिटी के चांसलर और वाइस चांसलर समेत 12 लोगों पर दर्ज हो चुके हैं मुकदमे
प्रयागराज के शुआट्स कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति, कुलपति समेत 12 लोगों के खिलाफ नैनी थाने में दो मुकदमे एसटीएफ ने दर्ज करवाए हैं. सैम हिग्गिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के प्रमुख जिम्मेदारों के खिलाफ यूपी एसटीएफ की प्रयागराज यूनिट की तरफ से दो फरवरी को नैनी थाने में दो मुकदमे दर्ज कराए हैं. इसमें धोखाधड़ी हेरफेर से लेकर शैक्षिणक व गैरशैक्षणिक पदों पर नियमों के विपरीत भर्ती करने के आरोप हैं.
इसके साथ ही झूठे पते पर असलहों के लाइसेंस हासिल करने का भी मामला चल रहा है. यूपी एसटीएफ शुआट्स से जुड़े कुल 5 मामलों की जांच कर रही है, जिसमें से इन दो मामलों में एसटीएफ को इस विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और कुलपति से लेकर कई दूसरे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ साक्ष्य हासिल हुए हैं. इसके बाद एसटीएफ ने सभी के खिलाफ नैनी थाने के मुकदमा दर्ज करवा दिया है.
किन-किन मामलों की हो रही है जांच
विश्वविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा प्राप्त नहीं होने के बावजूद कैंपस में यीशु दरबार ट्रस्ट के माध्यम से धार्मिक गतिविधियों का संचालन और धर्मांतरण कराना, यीशु दरबार ट्रस्ट को यूनिवर्सिटी की 26 बीघा भूमि अवैध रूप से हस्तांतरित करना, मृत और फर्जी नाम पते वाले लोगों के जरिए शुआट्स में उच्चाधिकारियों की अवैध नियुक्ति अनाधिकृत कोर्स चलाए जाने और यीशु दरबार ट्रस्ट के संचालन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में 26 याचिकाएं दायर करना और बाद में उनको वापस ले लेना. इलाहाबाद एग्रीकल्चर संस्थान में अध्यापकों की अवैध नियुक्ति प्रशासनिक एवं वित्तीय व्यवस्था में अनियमितता करना, शुआट्स के अधिकारियों के विरुद्ध विभिन्न मुकदमा दर्ज होने की जानकारी छिपाकर अलग नाम पते पर शस्त्र लाइसेंस हासिल और वित्तीय गड़बड़ी और नियुक्ति में धांधली के आरोप में एसटीएफ ने मुकदमा दर्ज करवाया है.
एसटीएफ की तरफ से नैनी थाने में दर्ज करवाई गयी एक एफआईआर में शुआट्स के कुलपति व प्रशासनिक सहयोगियों पर वित्तीय गड़बड़ियों समेत लेनदेन में धांधली करने के आरोप लगाए गए हैं, जिसकी जानकारी ऑडिट में भी पकड़ी गयी है. उसी तरह की गड़बड़ी एसटीएफ को भी जांच में मिली है. जांच में एसटीएफ को पता चला है कि शुआट्स के कुलपति व विश्वविद्यालय के अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा प्रसार योजना, आयोजन, सुदृढीकरण, प्रशिक्षण कार्यक्रम में बिना सत्यापन के ही मनमाने ढंग से तमाम तरह के भुगतान किए गए है.
इसके साथ ही वेतन और भत्ता के निर्धारण में गड़बड़ी की गई. साथ ही वेतन भुगतान और ठेकेदारों से कार्य करवाने में वित्तीय गड़बडियां की गई हैं. इस तरह की वित्तीय गड़बड़ियों के जरिए करोड़ों रुपये की वित्तीय अनियमितता की गयी है. नैनी थाने में दर्ज एसटीएफ की दूसरी एफआईआर में आरोप है कि प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर व एशोसिएट प्रोफेसर की नियुक्तियों में अवैध एवं नियम खिलाफ तरीके इस्तेमाल किए गए हैं.
एसटीएफ की जांच में यह भी पता चला है कि 1984 से लेकर 2017 तक में हुई 69 शिक्षको की भर्ती में नियमों की अनदेखी की गयी है. नियम विपरीत की गई भर्तियों में प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोशिएट प्रोफेसर के पद शामिल हैं. 33 सालों में की गयी 69 नियुक्तियों में निर्धारित अनिवार्य योग्यता का पालन नहीं किया गया है.
एसटीएफ ने 2 फरवरी को निम्न लोगों के खिलाफ दर्ज करवाया है केस
1. कुलाधिपति जे ए ऑलिवर एवं इनके सहयोगी.
2. कुलपति डॉ राजेन्द बिहारी लाल.
3. तत्कालीन रजिस्ट्रार अजय कुमार लारेन्स.
4. प्रतिकुलपति सुनील बी लाल.
5. तत्कालीन निदेशक एचआरएम बिनोद बिहारी लाल.
6. रजिस्ट्रार रबिन एल प्रसाद.
7. तत्कालीन वित्त निदेशक स्टीफेन दास.
8. डीन ड मोहम्मद इम्तियाज.
9. प्रतिकुलपति डॉ. सर्वजीत हर्बट.
10. तत्कालीन निदेशक एचआरएम रजन ए जॉन.
11. कार्यालय अधीक्षक अशोक सिंह तथा अज्ञात.
12.प्रशासनिक अधिकारीगणों एवं उनके साथ अन्य सहयोगी व्यक्तियों.
13. 1984 से 2017 के बीच अवैध पेमेंट की मंजूरी देने वाले वित्तीय अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है.
विश्वविद्यालय में पहले की तरह चल रहा शैक्षणिक कार्य
शुआट्स के चांसलर और वाइस चांसलर समेत अन्य जिम्मेदार लोगों के खिलाफ केस दर्ज होने और पुलिस द्वारा उनकी तलाश में दबिश देने का विश्वविद्यालय की पढ़ाई-लिखाई व शैक्षणिक कार्य पर कोई असर नहीं है. यूनिवर्सिटी के पीआरओ रमाकांत का कहना है कि यूनिवर्सिटी में पठन पाठन का कार्य पहले की तरह हो चल रहा है. पुलिस और एसटीएफ की कार्यवाई का शैक्षणिक कार्यो पर कोई प्रभाव नहीं हैं. कार्यवाहक कुलपति की निगरानी में शैक्षणिक कार्य अपनी क्षमता के अनुरूप चल रहा है. वहीं, विश्वविद्यालय के चांसलर और वाइस चांसलर जैसे जिम्मेदार लोगों के खिलाफ हो रही पुलिसिया कार्यवाई के सवाल पर पीआरओ ने सिर्फ दो टूक शब्दों में कहाकि सत्य की जीत होगी.