प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पीएसी कांस्टेबल से नियुक्ति के डेढ़ साल के भीतर इस्तीफा देने पर कमांडेंट द्वारा प्रशिक्षण खर्च मिले वेतन की वसूली आदेश के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से याचिका पर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. याचिका की सुनवाई 25 जुलाई को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने मेरठ पीएसी कांस्टेबल कमल प्रकाश की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव ने बहस की.
इसे भी पढ़ेंः कोरोना में मृत 37 अधिवक्ता परिवार को बार एसोसिएशन ने दी आर्थिक सहायता
याचिका के अनुसार याची का पीएसी कांस्टेबल पद पर चयन हुआ. उसे प्रशिक्षण पर भेजा गया. प्रशिक्षण पूरा होने के बाद 31 जुलाई 20 को उसे तैनात किया गया. 9 दिसंबर 21 को उसने इस्तीफा दे दिया.
कमांडेन्ट पीएसी मेरठ ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया. उलटे प्रशिक्षण खर्च और दिये गये वेतन की वसूली का आदेश जारी कर दिया, जिसकी वैधता को चुनौती दी गई है. याची का कहना है कि नियमानुसार नियुक्ति के एक साल के भीतर इस्तीफा देने पर वेतन और खर्च वसूली की जायेगी, किंतु याची ने एक साल बीतने के बाद इस्तीफा दिया है, इसलिए वसूली अवैध है.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप