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'तंबुओं के शहर' में तैनात हो गए थानेदार और कोतवाल लेकिन नहीं दर्ज होगा कोई मुकदमा

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Published : Jan 6, 2022, 4:56 PM IST

संगम की रेती पर लगने वाले दुनिया के सबसे बड़े आध्यामिक माघ मेला 2022 की तैयारियां जोरों पर हैं. संगम तट पर माघ मेले के दौरान बने अस्थाई थानों में कोई मुकदमा दर्ज नहीं होता है. मेला क्षेत्र में होने वाली घटनाओं की शिकायतें एरिया के हिसाब से स्थायी थानों में दर्ज कराई जाती हैं.

माघ मेला 2022
माघ मेला 2022

प्रयागराज: धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में हर साल संगम तट पर माघ मेले के दौरान अस्थाई शहर बसता है. इसकी उम्र करीब डेढ़ महीने होती है. यहां सामान्य थानों की तरह अफसरों और पुलिसकर्मियों की तैनाती होती है, लेकिन इन थाने में कोई मुकदमा दर्ज नहीं होता है. इन थानों में तैनात कर्मचारी का काम सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करना होता है. बहुत जरूरी होने पर सबसे नजदीक के परमानेंट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है. यहां तक मेला क्षेत्र में होने वाला सीरियल क्राइम भी यहां दर्ज नहीं होता है. सबसे बड़ी बात ये है इन थानों से किसी की गिरफ्तारी भी नहीं दिखाई जाती है.

स्थाई थानों में दर्ज होते हैं मुकदमे

माघ मेला क्षेत्र में होने वाले आपराधिक मामलों की शिकायत स्थायी थानों में ही दर्ज कराई जाती है. मेला एसपी ने बताया कि मेला क्षेत्र में होने वाली घटनाओं की शिकायतें एरिया के हिसाब से स्थायी थानों में दर्ज कराई जाती हैं. अगर संगम के पास मेला एंट्री की तरफ कोई घटना होती है तो दारागंज थाने में मुकदमा दर्ज किया जाता है. अगर नैनी पुल के शुरुआती साइड में कोई घटना होती है तो कीडगंज थाने में मुकदमा दर्ज होता है. अगर अरैल साइड कुछ घटित होता है तो नैनी थाने में और शास्त्री पुल के आसपास कोई अपराध होता है तो झूंसी थाने में शिकायत दर्ज कराई जाती है, ताकि उस पर मुकदमे की विवेचना उसी थाने में हो सके.

सिर्फ कुंभ के दौरान कोतवाली थाने में दर्ज होता है मुकदमा

एसपी ने बताया कि सिर्फ कुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में बनाई गई कोतवाली में केस दर्ज किया जाता है. इन स्थानों पर दर्ज मुकदमों को मेला खत्म होने तक फाइनल किया जाता है ताकि, मामले पेंडिंग न रह जाएं. सिर्फ मेले में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के लिए अस्थाई थाने और चौकी बनाई जाती है.

इसे भी पढ़ें- माघ मेले की तैयारियों की शासन ने की समीक्षा, कोविड प्रोटोकाॅल के पालन के साथ मास्क होगा जरूरी

धार्मिक नामों पर होता है थानें और चौकियों का नाम

मेला क्षेत्र में थाना और चौकियां, कोतवाली को छोड़कर धार्मिक नामों से बनाई जाती हैं. जैसे थाना कोतवाली, थाना महावीर जी, थाना अक्षय वट, थाना संगम, थाना अरैल, थाना प्राचीन गंगा, थाना खाक चौक, थाना झूंसी, थाना कल्पवासी, थाना प्रयागवाल के साथ महिला थाना भी होता है.

13 थाने और 36 चौकियां

एसपी मेला राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि माघ मेला क्षेत्र में स्थायी रूप से 13 थाने और 36 चौकियां बनाई जा रही हैं, ताकि जो भी श्रद्धालुओं आएं उनको सुरक्षित आवागमन, सुरक्षित स्नान और फिर सुरक्षित उनको वापस भेज सकें. मेले के दौरान दर्ज मुकदमों को नजदीकी परमानेंट थाने में ट्रांसफर कर दिया जाता है.

प्रयागराज: धर्म और आस्था की नगरी प्रयागराज में हर साल संगम तट पर माघ मेले के दौरान अस्थाई शहर बसता है. इसकी उम्र करीब डेढ़ महीने होती है. यहां सामान्य थानों की तरह अफसरों और पुलिसकर्मियों की तैनाती होती है, लेकिन इन थाने में कोई मुकदमा दर्ज नहीं होता है. इन थानों में तैनात कर्मचारी का काम सिर्फ लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करना होता है. बहुत जरूरी होने पर सबसे नजदीक के परमानेंट थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है. यहां तक मेला क्षेत्र में होने वाला सीरियल क्राइम भी यहां दर्ज नहीं होता है. सबसे बड़ी बात ये है इन थानों से किसी की गिरफ्तारी भी नहीं दिखाई जाती है.

स्थाई थानों में दर्ज होते हैं मुकदमे

माघ मेला क्षेत्र में होने वाले आपराधिक मामलों की शिकायत स्थायी थानों में ही दर्ज कराई जाती है. मेला एसपी ने बताया कि मेला क्षेत्र में होने वाली घटनाओं की शिकायतें एरिया के हिसाब से स्थायी थानों में दर्ज कराई जाती हैं. अगर संगम के पास मेला एंट्री की तरफ कोई घटना होती है तो दारागंज थाने में मुकदमा दर्ज किया जाता है. अगर नैनी पुल के शुरुआती साइड में कोई घटना होती है तो कीडगंज थाने में मुकदमा दर्ज होता है. अगर अरैल साइड कुछ घटित होता है तो नैनी थाने में और शास्त्री पुल के आसपास कोई अपराध होता है तो झूंसी थाने में शिकायत दर्ज कराई जाती है, ताकि उस पर मुकदमे की विवेचना उसी थाने में हो सके.

सिर्फ कुंभ के दौरान कोतवाली थाने में दर्ज होता है मुकदमा

एसपी ने बताया कि सिर्फ कुंभ के दौरान मेला क्षेत्र में बनाई गई कोतवाली में केस दर्ज किया जाता है. इन स्थानों पर दर्ज मुकदमों को मेला खत्म होने तक फाइनल किया जाता है ताकि, मामले पेंडिंग न रह जाएं. सिर्फ मेले में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने के लिए अस्थाई थाने और चौकी बनाई जाती है.

इसे भी पढ़ें- माघ मेले की तैयारियों की शासन ने की समीक्षा, कोविड प्रोटोकाॅल के पालन के साथ मास्क होगा जरूरी

धार्मिक नामों पर होता है थानें और चौकियों का नाम

मेला क्षेत्र में थाना और चौकियां, कोतवाली को छोड़कर धार्मिक नामों से बनाई जाती हैं. जैसे थाना कोतवाली, थाना महावीर जी, थाना अक्षय वट, थाना संगम, थाना अरैल, थाना प्राचीन गंगा, थाना खाक चौक, थाना झूंसी, थाना कल्पवासी, थाना प्रयागवाल के साथ महिला थाना भी होता है.

13 थाने और 36 चौकियां

एसपी मेला राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि माघ मेला क्षेत्र में स्थायी रूप से 13 थाने और 36 चौकियां बनाई जा रही हैं, ताकि जो भी श्रद्धालुओं आएं उनको सुरक्षित आवागमन, सुरक्षित स्नान और फिर सुरक्षित उनको वापस भेज सकें. मेले के दौरान दर्ज मुकदमों को नजदीकी परमानेंट थाने में ट्रांसफर कर दिया जाता है.

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