प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आये दिन वकीलों की हड़ताल को गंभीरता से लिया है. साथ ही ऐसा कर मुकदमे के ट्रायल में व्यवधान उत्पन्न करने वालों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि वकीलों की हड़ताल हरीश उप्पल केस में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लघंन है. कोर्ट ने कहा, कि हड़ताल करके वकील न्यायालय की कार्यवाही में अवरोध नहीं उत्पन्न कर सकते. न्याय प्रक्रिया बिना व्यवधान के निर्बाध चलती रहनी चाहिए. वकीलों की हड़ताल न केवल न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप है बल्कि बंदियों के त्वरित विचारण के संवैधानिक अधिकार का हनन भी है.
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति अजय भनोट ने सूरज पासी की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए दी. सरकार की ओर से कहा गया कि याची के खिलाफ आरोप के चश्मदीद गवाह हैं. जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया जाए. कोर्ट ने यूपी बार कौंसिल के अध्यक्ष को 20 दिसंबर को हाजिर होकर यह बताने को कहा है कि वह इस मामले में क्या कार्रवाई करेंगे और भविष्य में इस पर कैसे नियंत्रण करेंगे.
कोर्ट ने इलाहाबाद की ट्रायल कोर्ट को बार एसोसिएशन के उन पदाधिकारियों के नाम बताने को कहा है, जिन्होंने हड़ताल कर वकीलों को अदालत में आने से रोका. साथ ही इसकी भी जांच करने को कहा है कि अभियुक्तों को पेश क्यों नहीं किया गया? कोर्ट ने कहा कि उस दिन पेश होने वाले अभियुक्तों का नाम बताएं. यह भी बताएं उन्हें कब गिरफ्तार किया गया था . कब-कब पेश किया गया और नहीं पेश किया गया तो उसका क्या कारण था.
अपर सत्र न्यायाधीश इलाहाबाद की रिपोर्ट में कहा गया है कि वकीलों की हड़ताल के कारण ट्रायल नहीं हो पा रहा है. मुकदमा 16 फरवरी, 26 मार्च व आठ नवंबर 2022 को लगा था। कोर्ट ने टिप्पणी की कि भारत की अदालतें वकीलों की आये दिन हड़ताल का सामना कर रही है. हड़ताल के कारण ट्रायल नहीं हो पा रहे हैं और अभियुक्त जेल में हैं. रिपोर्ट बताती है कि हड़ताल रूटीन फीचर है इसलिए यूपी बार कौंसिल अध्यक्ष हाजिर हों और इस पर रोक लगाने के भविष्य के उपायों की जानकारी दें.
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