प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के बांसगांव से भाजपा सांसद कमलेश पासवान को मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा सुनाई गई डेढ़ वर्ष की सजा पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने पासवान की जमानत भी मंजूर कर ली है. कमलेश पासवान द्वारा सेशन कोर्ट गोरखपुर के फैसले के खिलाफ दाखिल पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने दिया है.
कमलेश पासवान का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची को अधिकतम डेढ़ वर्ष के कारावास की सजा सुनाई गई है. विवाद प्राईवेट नेचर का है और समाज के विरुद्ध कोई अपराध नहीं किया गया है. याची का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, वह सांसद है. जिन साक्ष्यों के आलोक में सजा सुनाई गई है, वह उपयुक्त नहीं है.
जबकि सरकारी वकील ने याचिका का विरोध किया और कहा कि मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा सुनाई गई सजा उचित है. कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कमलेश पासवान की जमानत मंजूर कर ली. साथ ही सजा के निलंबन के बिंदु पर अदालत का कहना था कि याची सांसद है. इस सजा से उसके राजनीतिक भविष्य को नुकसान हो सकता है. निकट भविष्य में अपील का निस्तारण संभव नहीं दिखाई दे रहा है. कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू केस में दिए न्याय निर्णय के आलोक में कमलेश पासवान को सुनाई गई सजा पर सुनवाई पूरी होने तक के लिए रोक लगा दी है.
उल्लेखनीय है कि कमलेश पासवान व अन्य के विरुद्ध भरतपुर के गुलरिहा थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस मामले में एसीजेएम कोर्ट ने सभी आरोपियों को 26 नवंबर 2022 को विभिन्न धाराओं में अधिकतम डेढ़ वर्ष के कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई थी. सजा के खिलाफ सेशन कोर्ट में अपील दाखिल की गई मगर सेशन कोर्ट ने 10 अप्रैल 2023 को अपील खारिज करते हुए सभी अभियुक्तों को 24 अप्रैल तक सरेंडर करने का निर्देश दिया. इस आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की गई थी.
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