प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की पत्नी ऋचा दूबे को राहत देने से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने दूसरे व्यक्ति के सिम कार्ड का इस्तेमाल कर कपट धोखाधड़ी के आरोप में दाखिल चार्जशीट, मजिस्ट्रेट के संज्ञान लेने के आदेश और मुकद्दमे की कार्रवाई पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. साथ ही याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति शमीम अहमद ने ऋचा दूबे की याचिका पर दिया है.
याचिका पर अधिवक्ता प्रभाशंकर मिश्र और राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने बहस की. याची अधिवक्ता का कहना था कि याची के खिलाफ एसआईटी रिपोर्ट पर कानपुर नगर के चौबेपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है. पुलिस चार्जशीट दाखिल होने के बाद रमाबाई नगर कानपुर देहात की विशेष अदालत में आपराधिक केस चल रहा है. मजिस्ट्रेट ने पुलिस चार्जशीट को संज्ञान में लेकर सम्मन जारी किया है. जिसकी वैधता को चुनौती दी गई है.
याची का कहना था कि उसके पास मोबाइल फोन नहीं है. जो नंबर वह इस्तेमाल कर रही है. वह उसके नौकर महेश का है. उसे कोई आपत्ति नहीं है. फोन से कोई अपराध नहीं किया गया है. बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की पत्नी होने के नाते झूठा फंसाया जा रहा है.
बात दें कि 3 जुलाई 2020 को बिकरू गांव में शूट आउट में आठ पुलिस अफसरों की मौत हो गई थी. घटना से डरकर नौकर सीतापुर भाग गया और अपना मोबाइल फोन छोड़ गया. पुलिस ने तथ्यों पर विचार किए बगैर मैकैनिकल तरीके से चार्जशीट दाखिल की है. कोर्ट ने भी संज्ञान लेकर सम्मन जारी किया है. पूरी कार्रवाई रद्द करने की मांग की गई है.
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राज्य सरकार का कहना था कि 19 नवंबर 2020 को याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. अनापत्ति लिए बगैर सिम याची के नाम कर लिया गया है. जो कि केन्द्र सरकार की गाइडलाइंस का खुला उल्लंघन है. यह अपराध है. 2017 से ही याची महेश का मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही है. कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद मुकद्दमे की कार्रवाई पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है और याचिका खारिज कर दी है.
रेखा अग्निहोत्री को जमानत पर रिहा करने से इंकार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिकरू कांड में पुलिस को बच कर जाने न पाए, ललकारने की आरोपी रेखा अग्निहोत्री को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है और अर्जी खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि 8 पुलिस अधिकारियों की हत्या कर दी गई. 6 पुलिस वाले गंभीर रूप से घायल हुए. याची पर पुलिस को मार डालने को ललकारने का गंभीर आरोप है. जिससे जमानत पर रिहा करने का कोई औचित्य नहीं है.
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यह आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल ने दिया है. मुठभेड़ में मार गिराए गए अमर दूबे की पत्नी खुशी दुबे की भी कोर्ट जमानत अर्जी खारिज की चुकी है. याची आरोपी दयाशंकर उर्फ कालू की पत्नी हैं. इनके खिलाफ कानपुर नगर के चौबेपुर थाने में हत्या, षड्यंत्र, हत्या के प्रयास, विस्फोटक कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई है. मुख्य आरोपी विकास दुबे भी मुठभेड़ में मारा जा चुका है. चश्मदीद गवाहों का बयान है कि याची मकान के छत पर कह रही थी कि पुलिस वालों को मार डालो, बचकर कोई जाने न पाए. इसके साथ कई अन्य महिलाएं भी ललकार रही थीं.