प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रामपुर के सांसद मोहम्मद आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. उन पर पैन नंबर व पासपोर्ट के लिए पद का दुरुपयोग कर फर्जी दस्तावेज तैयार कराने और उसका फायदा उठाने का आरोप हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने दिया है. कोर्ट ने कैबिनेट मंत्री पद का दुरूपयोग कर कई आपराधिक कृत्यों पर विचार करते हुए कहा कि आरोपियों को जमानत पर रिहाई करना जनहित में नहीं है. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल में गवाही हो जाने के बाद याची जमानत अर्जी दे सकते हैं.
आजम खां ने किया पद का दुरुपयोग
कोर्ट ने कहा कि रामपुर के सिविल लाइन थाने में तीन एफआईआर दर्ज कराये गये हैं. आजम खान पर अपने बेटे के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनवाने का आरोप है. इस अपराध को तकनीकी तौर पर नहीं देखा जा सकता. यह आपराधिक षड्यंत्र है, इसकी जड़ में जाना चाहिए. पद का दुरुपयोग किया गया है. कोर्ट ने कहा कि कैबिनेट मंत्री ने अपने मातहत अधिकारियों को धमका कर फर्जी दस्तावेज तैयार कराये हैं.
शत्रु संपत्ति की जमीन हडपने का आरोप
कोर्ट ने कहा कि आजम खां पर 13.842 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति की जमीन हडप कर पारिवारिक ट्रस्ट के नाम करने का भी आरोप है. यह संपत्ति सुन्नी मुस्लिम की थी. वह देश के बंटवारे के समय पाकिस्तान चला गया. इसके बाद संपत्ति सरकार में निहित हो गयी, किन्तु 1939 की वक्फ की फर्जी डीड तैयार की गयी और यह जमीन सुन्नी वक्फ से शिया वक्फ को स्थानांतरित कर ट्रस्ट को दे दी गई.
किसानों ने दर्ज कराई एफआईआर
इसी प्रकार 6.917 हेक्टेयर नदी के कछार की जमीन राजस्व अभिलेखों में फर्जीवाडा कर हथिया ली गई. इसे लेकर भी एक एफआईआर दर्ज करायी गई है. कोर्ट ने कहा कि आजम खां पर आरोप है कि मंत्री रहते उन्होंने किसानों को लॉक अप में बंद कराकर पिटायी करायी और उनकी जमीन जबरन पारिवारिक ट्रस्ट के नाम बैनामा करा ली. इसमें भी किसानों ने भी एफआईआर दर्ज करायी है. ऐसी स्थिति में जमानत पर रिहा करने का आदेश नहीं दिया जा सकता.