प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उपभोक्ता की सहमति के बिना उसके बिजली कनेक्शन का स्वरूप सिंगल प्वाइंट कनेक्शन से बदलकर मल्टीपाइंट कनेक्शन में करने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में बिजली विभाग व अन्य सभी पक्षों से जवाब तलब किया है. साथ ही कहा है कि यदि इस दौरान किसी का कनेक्शन बदला गया है तो उसे वापस सिंगल प्वाइंट कनेक्शन में रिस्टोर कर दिया जाए. मेरठ की अपेक्स ड्रीम होम्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने दिया है.
याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची बिल्डर है. जिसने 618 फ्लैट बनाकर बेचे हैं. फ्लैट ओनर्स के हितों व बिल्डिंग की देखरेख की जिम्मेदारी अभी भी याची बिल्डर ही देख रहा है. इस बीच बिजली विभाग के अधिकारी मनमाने तरीके से फ्लैट ओनर्स के बिजली कनेक्शन सिंगल प्वाइंट से बदलकर मल्टीपाइंट कनेक्शन करना चाह रहे हैं. इसके विरुद्ध अधिकारियों को प्रत्यावेदन दिया गया. मगर उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई. जबकि 51 प्रतिशत कनेक्शन धारक सिंगल प्वाइंट कनेक्शन के पक्ष में हैं.
पूर्व में इस मामले में हाईकोर्ट ने एक याचिका पर यह मामला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम के समक्ष ले जाने का निर्देश दिया था. मगर फोरम का कोरम पूरा न होने के कारण वहां मामले की सुनवाई नहीं हो सकी. वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि यूपी इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी आर्डर के मुताबिक बिजली कनेक्शन के स्वरूप में परिवर्तन करने से पूर्व कनेक्शन धारकों की सहमति लेना अनिवार्य है तथा यदि एक 51 प्रतिशत लोग सिंगल पॉइंट कनेक्शन के पक्ष में है तो उसे जबरदस्ती बदलकर मल्टीपाइंट कनेक्शन नहीं किया जा सकता है. बिजली विभाग के अधिवक्ता द्वारा प्रस्तुत आंखों से पता चला कि 618 फ्लैट ओनर्स में से सिर्फ 222 ने ही मल्टीपाइंट कनेक्शन की सहमति दी है. शेष सभी सिंगल प्वाइंट कनेक्शन चाहते थे. इस पर कोर्ट ने उपभोक्ताओं के कनेक्शन मल्टीपाइंट करने पर रोक लगाते हुए बिजली विभाग के अधिकारियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.
यह भी पढ़ें- काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की नई पहल, अब मध्यस्थता आधिकारी विवादों का करेंगे हल