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विधवा को विवाह पूर्व अज्ञात व्यक्ति से सेक्स की समझ है : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा से दुराचार के आरोपी की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. कोर्ट का कहना है कि दुराचार के मामले में पीड़िता को मेडिकल जांच कराना अनिवार्य है और इस मामले में पीड़िता जांच कराने से इंकार कर रही है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Oct 31, 2021, 10:16 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा से दुराचार के आरोपी की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा है कि निःसंदेह पीड़िता 35 साल की विधवा है और वह विवाह से पहले अज्ञात व्यक्ति से संबंध स्थापित करने के दुष्प्रभाव को भली-भांति जानती है. आरोपी के खिलाफ दुराचार के आरोप को साबित करने के लिए मेडिकल जांच जरूरी है फिर भी पीड़िता ने मेडिकल जांच कराने से इंकार कर दिया है.

कोर्ट का कहना है कि आरोपी ने शादी का वादा कर भरोसा जीता और दो साल तक प्रेमजाल में फंसाकर उपभोग करने के बाद अपने बादे से मुकर गया और पीड़िता को धमका रहा है. पीड़िता ने मेडिकल जांच से इंकार कर दिया है, ऐसे में याची जमानत पाने का हकदार है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कानपुर नगर के दुर्गेश त्रिपाठी की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है.

इसे भी पढ़ें- बालिग की सहमति से सेक्स भले ही अपराध नहीं किन्तु यह अनैतिक व भारतीय सामाजिक मूल्यों के खिलाफ: हाईकोर्ट

याची का कहना था कि पीड़िता के पति की 19 दिसंबर 2016 को मौत हो गई थी. इसके बाद याची से उसकी नजदीकी बढ़ीं और प्रेम संबंध बन गए. दो साल तक संबंध बने, जिसका कोई ऐतराज नहीं किया गया. इसके बाद 4 दिसंबर 2020 को दुराचार का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. इसके बाद पीड़िता मेडिकल जांच से इंकार कर रही है, क्योंकि संबंधों का खुलासा हो सकता है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विधवा से दुराचार के आरोपी की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा है कि निःसंदेह पीड़िता 35 साल की विधवा है और वह विवाह से पहले अज्ञात व्यक्ति से संबंध स्थापित करने के दुष्प्रभाव को भली-भांति जानती है. आरोपी के खिलाफ दुराचार के आरोप को साबित करने के लिए मेडिकल जांच जरूरी है फिर भी पीड़िता ने मेडिकल जांच कराने से इंकार कर दिया है.

कोर्ट का कहना है कि आरोपी ने शादी का वादा कर भरोसा जीता और दो साल तक प्रेमजाल में फंसाकर उपभोग करने के बाद अपने बादे से मुकर गया और पीड़िता को धमका रहा है. पीड़िता ने मेडिकल जांच से इंकार कर दिया है, ऐसे में याची जमानत पाने का हकदार है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने कानपुर नगर के दुर्गेश त्रिपाठी की अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है.

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याची का कहना था कि पीड़िता के पति की 19 दिसंबर 2016 को मौत हो गई थी. इसके बाद याची से उसकी नजदीकी बढ़ीं और प्रेम संबंध बन गए. दो साल तक संबंध बने, जिसका कोई ऐतराज नहीं किया गया. इसके बाद 4 दिसंबर 2020 को दुराचार का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. इसके बाद पीड़िता मेडिकल जांच से इंकार कर रही है, क्योंकि संबंधों का खुलासा हो सकता है.

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