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शिक्षा सेवा अधिकरण के बंटवारे का अधिवक्ता संगठनों ने किया विरोध

राज्य सरकार ने शिक्षा सेवा अधिकरण के बंटवारे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुडे़ अधिवक्ता संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है. इसको लेकर अधिवक्ताओं ने राज्य सरकार पर कानूनी सिद्धान्तों की अनदेखी करने और नौकरशाही के चंगुल में फंसकर मनमानी करने का आरोप लगाया है.

अधिवक्ता संगठनों ने जताया विरोध.
अधिवक्ता संगठनों ने जताया विरोध.
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Published : Feb 19, 2021, 12:07 PM IST

प्रयागराज : राज्य सरकार ने शिक्षा सेवा अधिकरण को तीन दिन लखनऊ और दो दिन प्रयागराज में बैठने की व्यवस्था के साथ कानून पास कर दिया है. इस तरह अधिकरण के बंटवारे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुडे़ अधिवक्ता संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है. बार संगठनों का कहना है कि यह समझ से परे है कि दो कमिश्नरी के क्षेत्राधिकार वाली लखनऊ खंडपीठ के मुकदमों को सुनने के लिए सप्ताह में तीन दिन और 14 कमिश्नरी क्षेत्राधिकार वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ के जिलों के मुकदमों की सुनवाई के लिए सप्ताह में दो दिन तय किया गया है.

यंग लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी ने राज्य सरकार पर कानूनी सिद्धान्तों की अनदेखी करने और नौकरशाही के चंगुल में फंसकर मनमानी करने का आरोप लगाया है. वहीं अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की संसद में दिये बयान का हवाला देते हुए कहा कि आईएएस लॉबी अपनी सुविधानुसार हर काम करना चाहती है. वह राजधानी से बाहर जाना ही नहीं चाहती. प्रधानमंत्री मोदी ने आईएएस को बाबुओं की संज्ञा दी थी और कहा था कि ये हर बात के विशेषज्ञ नही हो सकते.

प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एनके चटर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के मद्रास बार एसोसिएशन केस का हवाला देते हुए कहा कि जहां हाईकोर्ट की प्रधानपीठ हो, न्यायिक निगरानी के लिए अधिकरण वहीं होना चाहिए. हाईकोर्ट ने भी मेसर्स टार्क फार्मास्युटिकल केस में कहा है कि हाईकोर्ट की स्थाई पीठ या प्रधानपीठ एक ही है और इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ प्रयागराज में है. लखनऊ मे खंडपीठ है, ऐसे में अधिकरण का बंटवारा करना स्थापित विधि सिद्धांत का उल्लंघन है.

वहीं आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शरद चंद्र मिश्र ने प्रयागराज में अधिकरण की पीठ स्थापित करने की मांग सरकार से की है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर बार एसोसिएशन के वर्तमान महासचिव प्रभाशंकर मिश्र की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिसकी सुनवाई कराकर विधिक व्यवस्था स्पष्ट की जानी चाहिए. साथ ही भारत सेवक संघ के अध्यक्ष राजीव शुक्ल और संरक्षक अशोक कुमार सिंह ने शिक्षा अधिकरण को प्रयागराज में न स्थापित कर बेमेल बंटवारे की कड़ी निंदा की है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है. साथ ही मुख्यमंत्री पर वायदा खिलाफी का आरोप लगाया है.

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश पांडेय बबुआ और महासचिव जेबी सिंह के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार के अनुसार अधिकरण की पीठ का अधिकार क्षेत्र दिया जायेगा. इसके विपरीत चंद जिलों के क्षेत्राधिकार वाले लखनऊ खंडपीठ के जिलों के मुकदमे तीन दिन सुने जायेंगे और 14 मंडलों के अधिकारक्षेत्र वाले हाईकोर्ट की प्रधान पीठ के जिलों के मुकदमे को सुनने के लिए दो दिन देना समझ से परे है. उन्होंने कहा कि प्रयागराज की पीठ को व्यर्थ करने की योजना की नींव डाल दी गयी है. वहीं जूनियर लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी और सचिव जीपी सिंह ने कहा कि सरकार न्याय प्रशासन के क्षेत्र मे मुख्य न्यायाधीश की सलाह से ही कार्य करे.

वहीं अधिवक्ता संगठनों ने बैठक कर राज्य सरकार के अध्यापकों को न्याय देने के बजाय भटकाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि प्रयागराज शिक्षा का हब है. इसके मूल चरित्र से नौकरशाही के इशारे पर खिलवाड़ न किया जाय.

प्रयागराज : राज्य सरकार ने शिक्षा सेवा अधिकरण को तीन दिन लखनऊ और दो दिन प्रयागराज में बैठने की व्यवस्था के साथ कानून पास कर दिया है. इस तरह अधिकरण के बंटवारे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट से जुडे़ अधिवक्ता संगठनों ने कड़ा विरोध जताया है. बार संगठनों का कहना है कि यह समझ से परे है कि दो कमिश्नरी के क्षेत्राधिकार वाली लखनऊ खंडपीठ के मुकदमों को सुनने के लिए सप्ताह में तीन दिन और 14 कमिश्नरी क्षेत्राधिकार वाली इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधान पीठ के जिलों के मुकदमों की सुनवाई के लिए सप्ताह में दो दिन तय किया गया है.

यंग लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी ने राज्य सरकार पर कानूनी सिद्धान्तों की अनदेखी करने और नौकरशाही के चंगुल में फंसकर मनमानी करने का आरोप लगाया है. वहीं अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह ने प्रधानमंत्री मोदी की संसद में दिये बयान का हवाला देते हुए कहा कि आईएएस लॉबी अपनी सुविधानुसार हर काम करना चाहती है. वह राजधानी से बाहर जाना ही नहीं चाहती. प्रधानमंत्री मोदी ने आईएएस को बाबुओं की संज्ञा दी थी और कहा था कि ये हर बात के विशेषज्ञ नही हो सकते.

प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एनके चटर्जी ने सुप्रीम कोर्ट के मद्रास बार एसोसिएशन केस का हवाला देते हुए कहा कि जहां हाईकोर्ट की प्रधानपीठ हो, न्यायिक निगरानी के लिए अधिकरण वहीं होना चाहिए. हाईकोर्ट ने भी मेसर्स टार्क फार्मास्युटिकल केस में कहा है कि हाईकोर्ट की स्थाई पीठ या प्रधानपीठ एक ही है और इलाहाबाद हाईकोर्ट की प्रधानपीठ प्रयागराज में है. लखनऊ मे खंडपीठ है, ऐसे में अधिकरण का बंटवारा करना स्थापित विधि सिद्धांत का उल्लंघन है.

वहीं आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शरद चंद्र मिश्र ने प्रयागराज में अधिकरण की पीठ स्थापित करने की मांग सरकार से की है. उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर बार एसोसिएशन के वर्तमान महासचिव प्रभाशंकर मिश्र की जनहित याचिका हाईकोर्ट में विचाराधीन है, जिसकी सुनवाई कराकर विधिक व्यवस्था स्पष्ट की जानी चाहिए. साथ ही भारत सेवक संघ के अध्यक्ष राजीव शुक्ल और संरक्षक अशोक कुमार सिंह ने शिक्षा अधिकरण को प्रयागराज में न स्थापित कर बेमेल बंटवारे की कड़ी निंदा की है और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है. साथ ही मुख्यमंत्री पर वायदा खिलाफी का आरोप लगाया है.

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष राकेश पांडेय बबुआ और महासचिव जेबी सिंह के प्रतिनिधिमंडल को मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया था कि हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार के अनुसार अधिकरण की पीठ का अधिकार क्षेत्र दिया जायेगा. इसके विपरीत चंद जिलों के क्षेत्राधिकार वाले लखनऊ खंडपीठ के जिलों के मुकदमे तीन दिन सुने जायेंगे और 14 मंडलों के अधिकारक्षेत्र वाले हाईकोर्ट की प्रधान पीठ के जिलों के मुकदमे को सुनने के लिए दो दिन देना समझ से परे है. उन्होंने कहा कि प्रयागराज की पीठ को व्यर्थ करने की योजना की नींव डाल दी गयी है. वहीं जूनियर लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी और सचिव जीपी सिंह ने कहा कि सरकार न्याय प्रशासन के क्षेत्र मे मुख्य न्यायाधीश की सलाह से ही कार्य करे.

वहीं अधिवक्ता संगठनों ने बैठक कर राज्य सरकार के अध्यापकों को न्याय देने के बजाय भटकाने के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि प्रयागराज शिक्षा का हब है. इसके मूल चरित्र से नौकरशाही के इशारे पर खिलवाड़ न किया जाय.

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