प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट समेत प्रदेश की निचली अदालतों की सुरक्षा तथा अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक अधिकारियों के आवास, मूलभूत सुविधाओं को लेकर स्वतः कायम जनहित याचिका की पुनः सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में अब 27 अक्टूबर को होगी.
याचिका की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी, न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर, न्यायमूर्ति नाहिद आरा मुनीस, न्यायमूर्ति मनोज मिश्र, न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल, न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी तथा न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की वृहद पीठ ने की है. कोर्ट ने आदेश का पालन करने में विफल रही सरकार व हाजिर शीर्ष अधिकारियों को कड़ी फटकार लगाई है. पहली बार कोर्ट में आए महाधिवक्ता को कोर्ट ने समय दिया ताकि वह अधिकारियों से वार्ता कर सभी समस्याओं का हल निकाल सकें. केस की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी ने कहा कि प्रदेश में कई जगह पर न्यायिक अधिकारियों को कोई सुविधा नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कहीं-कहीं पर तो न्यायिक अधिकारी किराए के मकान में रह रहे हैं. कोर्ट भी किराए पर चल रही है. न्यायिक अधिकारियों को आदेश खुद हाथ से लिखना पड़ रहा है. आदेश लिखने के लिए स्टेनोग्राफर व स्टाफ की नियुक्ति नहीं की जा रही है.
कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार हम अपने न्यायिक अधिकारियों को काम करने की अनुमति नहीं दे सकते. कहा कि जहां तक सुरक्षा का सवाल है, कोर्ट परिसरों की सुरक्षा नहीं है. हमारे न्यायिक अधिकारी दयनीय दशा में काम कर रहे हैं, जबकि उनसे अपेक्षाए अधिक है. हाईकोर्ट ने अपने रिटायर हो चुके जजों पर कहा कि कई राज्यों में निर्णय लिया जा चुका है और बेहतर सुविधा दी जा रही है परन्तु हाईकोर्ट की कमेटी के कहने के बाद भी सरकार ने यहां कोई निर्णय नहीं लिया.
हाईकोर्ट ने अधीनस्थ अदालतों में काम कर रहे न्यायिक अधिकारियों की कई समस्याओं की चर्चा की और तल्ख लहजे में कहा कि हाईकोर्ट को आदेश पालन कैसे कराया जाता है, यह उसे बखूबी मालूम है. कोर्ट में उपस्थित महाधिवक्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें सारी समस्याओं पर सम्बन्धित अधिकारियों के साथ बात करने का अवसर दिया जाय ताकि वह इसका उचित समाधान कर सकें और कोर्ट के आदेश पालन कराया जा सके.