ETV Bharat / state

शादीशुदा कर्मचारी के लिव इन रिलेशनशिप पर हाईकोर्ट का फैसला, बर्खास्तगी अनुचित

author img

By

Published : Jul 19, 2021, 2:46 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि शादीशुदा होने के बावजूद दूसरी महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने के आधार पर किसी को नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जा सकता. इस मामले में बर्खास्तगी कठोर दंड है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज : शादीशुदा होने के बावजूद लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर कर्मचारी की बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुचित करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि इस गलती के लिए बर्खास्तगी कठोर दंड है, इसके लिए छोटा दंड दिया जा सकता है. कोर्ट ने रिलेशनशिप में रहने की वजह से नौकरी से बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है और बकाया वेतन के बगैर बहाल कर दिया है. इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभाग को नियमानुसार कार्रवाई करने की छूट दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने गोरेलाल वर्मा की याचिका पर दिया है. अदालत ने माना कि नौकरी से बर्खास्तगी की सजा बहुत कठोर है. यह उत्तर प्रदेश सरकार सेवक आचरण नियमावली 1956 के संदर्भ में अनुचित भी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि याची को बर्खास्तगी की अवधि का वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा. सरकारी कर्मचारी गोरेलाल पर आरोप है कि वह पत्नी लक्ष्मी देवी के जीवित रहते हुए हेमलता वर्मा नाम की महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में पति-पत्नी की तरह रहने का दोषी पाया गया था, दोनों से 3 बच्चे भी हैं.

इसे भी पढ़ें- साथ न रह रही महिला के घरेलू हिंसा के वाद को कायम न करने की अर्जी HC ने की खारिज


शादीशुदा रहते हुए लिव इन रिलेशनशिप में रहने की वजह से गोरे लाल वर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था. अपने बर्खास्तगी आदेश को इस कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है केवल दूसरी औरत से संबंध पर कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता. असके लिए कोई छोटा दंड दिया जा सकता है.

प्रयागराज : शादीशुदा होने के बावजूद लिव इन रिलेशनशिप में रहने पर कर्मचारी की बर्खास्तगी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुचित करार दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि इस गलती के लिए बर्खास्तगी कठोर दंड है, इसके लिए छोटा दंड दिया जा सकता है. कोर्ट ने रिलेशनशिप में रहने की वजह से नौकरी से बर्खास्तगी के आदेश को रद्द कर दिया है और बकाया वेतन के बगैर बहाल कर दिया है. इतना ही नहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विभाग को नियमानुसार कार्रवाई करने की छूट दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने गोरेलाल वर्मा की याचिका पर दिया है. अदालत ने माना कि नौकरी से बर्खास्तगी की सजा बहुत कठोर है. यह उत्तर प्रदेश सरकार सेवक आचरण नियमावली 1956 के संदर्भ में अनुचित भी है. कोर्ट ने यह भी कहा कि याची को बर्खास्तगी की अवधि का वेतन भुगतान नहीं किया जाएगा. सरकारी कर्मचारी गोरेलाल पर आरोप है कि वह पत्नी लक्ष्मी देवी के जीवित रहते हुए हेमलता वर्मा नाम की महिला के साथ लिव इन रिलेशनशिप में पति-पत्नी की तरह रहने का दोषी पाया गया था, दोनों से 3 बच्चे भी हैं.

इसे भी पढ़ें- साथ न रह रही महिला के घरेलू हिंसा के वाद को कायम न करने की अर्जी HC ने की खारिज


शादीशुदा रहते हुए लिव इन रिलेशनशिप में रहने की वजह से गोरे लाल वर्मा को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था. अपने बर्खास्तगी आदेश को इस कर्मचारी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है केवल दूसरी औरत से संबंध पर कर्मचारी को बर्खास्त नहीं किया जा सकता. असके लिए कोई छोटा दंड दिया जा सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.