प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि चीफ जस्टिस मास्टर आफ रोस्टर है, उन्ही के प्राधिकार से मुकदमों की सूची निबंधक कार्यालय तैयार करता है. यह चीफ जस्टिस का अधिकार है कि कौन सा मुकद्दमा किस जज के समक्ष सुनवाई के लिए लगाया जाय. हाईकोर्ट रजिस्ट्री को यह आदेश नहीं दिया जा सकता कि किसी खास वकील के मुकदमे में खास जज के सामने न लगाए जाए.
कोर्ट ने याचिका को दिग्भ्रमित मानते हुए 20 हजार हर्जाने के साथ खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने अधिवक्ता अरूण मिश्र की याचिका पर दिया है.
कोर्ट ने कहा कि बड़ी अजीब बात है कि ऐसी मांग को लेकर हाईकोर्ट को पक्षकार बनाकर याचिका दाखिल की गई है. याची का कहना था कि हाईकोर्ट के एक विशेष महिला जज के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रपति को शिकायत की है. इसलिए उनके दाखिल मुकदमे उन जज की अदालत मे सुनवाई के लिए न लगाये जाय.