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हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को जल निगम कर्मियों के सेवानिवृत्ति भुगतान सुनिश्चित करने का दिया निर्देश

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उप्र जल निगम कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति देयो का वर्षो बाद भी भुगतान न होने पर कडा रूख अपनाया है. अपर मुख्य सचिव वित्त, प्रमुख सचिव नगर विभाग, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक उप्र जल निगम को दो सप्ताह के भीतर बैठ कर निगम कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान का समाधान निकालने का निर्देश दिया है.

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Published : Mar 20, 2021, 5:43 AM IST

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इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराजः कोर्ट ने मुख्य सचिव को जल निगम कर्मचारियों की पेन्शन अन्य भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. साथ ही अपर मुख्य सचिव वित्त और अध्यक्ष जल निगम उप्र से हलफनामे के जरिए 8 अप्रैल को कृत कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने जय मूर्ति देवी की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जल निगम एक वैधानिक संस्था है. वह अपने कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयो का भुगतान होल्ड कर नहीं रख सकती. ऐसा करना सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने से इंकार करने जैसा है.

कोर्ट ने कहा कि सामान्यतः राज्य सरकार और जल निगम के बीच की कार्यो से कोर्ट का कोई सरोकार नहीं होता, लेकिन जल निगम कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयो के भुगतान के लिए प्रतिदिन हाईकोर्ट में 8 से10 याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. कोर्ट भुगतान का आदेश देकर याचिका निस्तारित कर रही है.

इसी मामले में विधवा को पति के देयो का चार साल बीतने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया. बताया गया कि सरकार ने जल निगम के हजारों करोड़ के फंड नहीं दिए हैं. कर्मचारियों की पेन्शन पांच माह बाद दी जा रही है. सरकार ने कार्य कराए है, उसका भी भुगतान नहीं हो पा रहा है. इसपर कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव वित्त को पक्षकार बनाते हुए मुख्य सचिव से कहा है कि सरकारी अधिकारियों को निगम को फंड भेजने का निर्देश दे ताकि बिना देरी किए कर्मचारियों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित हो सके.

मालूम हो कि याची के पति जल निगम मे हेड क्लर्क थे. सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई. निगम फंड की कमी का बहाना बना चार साल बाद भी विधवा को ग्रेच्युटी, बीमा, बकाया वेतन, भत्ते आदि का भुगतान नहीं कर सका. निगम का कहना है कि फंड समय से न मिलने से कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. पांच माह बाद पेन्शन दी जा रही है. याची के भुगतान की कार्यवाही चल रही है. इसके लिए कुछ और समय दिया जाय. याचिका की सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.

प्रयागराजः कोर्ट ने मुख्य सचिव को जल निगम कर्मचारियों की पेन्शन अन्य भुगतान सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. साथ ही अपर मुख्य सचिव वित्त और अध्यक्ष जल निगम उप्र से हलफनामे के जरिए 8 अप्रैल को कृत कार्रवाई की जानकारी भी मांगी है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने जय मूर्ति देवी की याचिका पर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि जल निगम एक वैधानिक संस्था है. वह अपने कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयो का भुगतान होल्ड कर नहीं रख सकती. ऐसा करना सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान करने से इंकार करने जैसा है.

कोर्ट ने कहा कि सामान्यतः राज्य सरकार और जल निगम के बीच की कार्यो से कोर्ट का कोई सरोकार नहीं होता, लेकिन जल निगम कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति देयो के भुगतान के लिए प्रतिदिन हाईकोर्ट में 8 से10 याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. कोर्ट भुगतान का आदेश देकर याचिका निस्तारित कर रही है.

इसी मामले में विधवा को पति के देयो का चार साल बीतने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया. बताया गया कि सरकार ने जल निगम के हजारों करोड़ के फंड नहीं दिए हैं. कर्मचारियों की पेन्शन पांच माह बाद दी जा रही है. सरकार ने कार्य कराए है, उसका भी भुगतान नहीं हो पा रहा है. इसपर कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव और अपर मुख्य सचिव वित्त को पक्षकार बनाते हुए मुख्य सचिव से कहा है कि सरकारी अधिकारियों को निगम को फंड भेजने का निर्देश दे ताकि बिना देरी किए कर्मचारियों के बकाए का भुगतान सुनिश्चित हो सके.

मालूम हो कि याची के पति जल निगम मे हेड क्लर्क थे. सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई. निगम फंड की कमी का बहाना बना चार साल बाद भी विधवा को ग्रेच्युटी, बीमा, बकाया वेतन, भत्ते आदि का भुगतान नहीं कर सका. निगम का कहना है कि फंड समय से न मिलने से कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति परिलाभों का भुगतान नहीं हो पा रहा है. पांच माह बाद पेन्शन दी जा रही है. याची के भुगतान की कार्यवाही चल रही है. इसके लिए कुछ और समय दिया जाय. याचिका की सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.

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