प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आयकर विभाग की कर निर्धारण में मनमानी व नैसर्गिक न्याय के उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर प्रशासनिक कार्रवाई के लिए 23 अप्रैल 2022 के सर्कुलर का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने हरिश्चंद्र भाटी की याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि करदाता देश की अर्थव्यवस्था के अहम स्तंभ है. इन्हें बेवजह परेशान करने से देश की अर्थव्यवस्था के साथ ही रोजगार भी प्रभावित होता है.
केंद्र सरकार के राजस्व सचिव तरुण बजाज ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि स्थानीय समिति की ओर से दोषी ठहराए जाने पर अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश कर दिए गए हैं. यह आदेश सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस ने 23 अप्रैल 2022 को जारी किया है. कोर्ट ने याची को आदेश के खिलाफ वैधानिक अपील या पुनरीक्षण अर्जी दाखिल करने की छूट दी है. केंद्र सरकार की ओर से एएसजीआई शशि प्रकाश सिंह, अरविंद गोस्वामी और आयकर विभाग की ओर से गौरव महाजन ने पक्ष रखा.
कोर्ट ने 23 अप्रैल को जारी सर्कुलर को राष्ट्रीय, प्रांतीय व जिले की टैक्स बार एसोसिएशन को देने का निर्देश दिया है. इस सर्कुलर में मनमानी व गलती करने के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की प्रक्रिया दी गई है. कर निर्धारण के खिलाफ कर दाता को स्थानीय समिति में शिकायत करने का अधिकार है. यदि समिति पाती है कि कर निर्धारण अधिकारियों ने नैसर्गिक न्याय का पालन नहीं किया है, विवेक का इस्तेमाल नहीं किया है और घोर लापरवाही बरती है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी.
कोर्ट ने स्थानीय समिति का प्रचार करने और राष्ट्रीय व स्थानीय अखबार में हर तीसरे महीने में सूचना प्रकाशित करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा गया कि इसे वेबसाइट पर भी अपलोड किया जाए और कर दाताओं में जागरूकता पैदा की जाए. कोर्ट ने कहा कि जहां भी स्थानीय समिति का गठन नहीं किया गया है, अगले 15 दिन में गठन कर दिया जाए. कोर्ट ने एक माह में मानिटरिंग सेल तैयार कर स्थानीय समिति की नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि प्रमुख मुख्य आयुक्त आयकर विभाग व जोनल सदस्य त्रैमासिक रिपोर्ट लेते रहे। समीक्षा कर सर्कुलर लागू कराए.
कोर्ट ने स्थानीय समिति को शिकायत दो माह में तय करने और उसके चार सप्ताह में कार्रवाई की कर दाताओं को जानकारी देने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट ने सीबीडीटी को भी मानिटरिंग कर जारी सर्कुलर को लागू करने के उचित कदम उठाने का निर्देश दिया है. याची और दुष्यंत भाटी ने अपनी खेती की जमीन का दो अलग बैनामा किया. जिससे हुई आय पर धारा 148 के तहत कर निर्धारण कार्रवाई की गई. नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर नई दिल्ली ने कार्यवाही की. विवेक का इस्तेमाल किए बगैर और कर दाता की सफाई पर विचार किए बिना कर वसूली आदेश कर दिया गया.
कोर्ट ने कहा कि फेसलेस ने नान फेसलेस की तरह कार्य किया. कोर्ट ने याची को आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने की छूट दी है.
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