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अध्यापकों से वसूली और निलंबन आदेश पर रोक - अध्यापकों की नियुक्ति

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर के कौशल्या देवी बालिका इंटर कॉलेज किदवई नगर के चार अध्यापकों से वसूली और निलंबन पर रोक लगाने का आदेश दिया है.

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Published : Oct 21, 2022, 10:56 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर स्थित कौशल्या देवी बालिका इंटर कॉलेज किदवई नगर के चार अध्यापकों की नियुक्ति में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने के आरोप में अध्यापकों के निलंबन और धन की वसूली पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगने सहित विभागीय जांच कार्रवाई नियमानुसार पूरी करने और याचियों को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने महेश कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया कि नौ दिसंबर 2000 के शासनादेश में अध्यापकों की नियुक्ति का अनुमोदन करने का अधिकार क्षेत्रीय कमेटी को है, बशर्ते न्यायालय का आदेश न हो. याची के मामले में कोर्ट ने शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया था. उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक को चेतावनी देते हुए अनुमोदन करने का आदेश दिया था, जिस पर डीआईओएस ने नियुक्ति का अनुमोदन कर दिया. शासन के आदेश की शर्तों के अनुरूप है, इसलिए वसूली तथा निलंबन आदेश रद्द किया जाए.

जिला विद्यालय निरीक्षक ने कॉलेज प्रबंध समिति को चार अध्यापकों की नियुक्ति करने की अनुमति दी. विधिक प्रक्रिया अपनाते हुए नियुक्ति कर अनुमोदन के लिए डीआईओएस को पत्रावली भेजी गई. कोई निर्णय न होने पर याचिका दाखिल की. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए शिक्षा निदेशक को निर्णय लेने का आदेश दिया.

निदेशक ने डीआईओएस को कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया, जिसका पालन किया गया. लेकिन बाद में शासनादेश का हवाला देते हुए अध्यापकों को निलंबित कर वसूली आदेश जारी किया गया. इसे चुनौती दी गई है.

यह भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री कपिल देव सहित सात आरोपी कोर्ट में पेश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कानपुर स्थित कौशल्या देवी बालिका इंटर कॉलेज किदवई नगर के चार अध्यापकों की नियुक्ति में कानूनी प्रक्रिया का पालन न करने के आरोप में अध्यापकों के निलंबन और धन की वसूली पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगने सहित विभागीय जांच कार्रवाई नियमानुसार पूरी करने और याचियों को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने महेश कुमार गुप्ता की याचिका पर दिया है. याचिका में कहा गया कि नौ दिसंबर 2000 के शासनादेश में अध्यापकों की नियुक्ति का अनुमोदन करने का अधिकार क्षेत्रीय कमेटी को है, बशर्ते न्यायालय का आदेश न हो. याची के मामले में कोर्ट ने शिक्षा निदेशक को निर्देश दिया था. उन्होंने जिला विद्यालय निरीक्षक को चेतावनी देते हुए अनुमोदन करने का आदेश दिया था, जिस पर डीआईओएस ने नियुक्ति का अनुमोदन कर दिया. शासन के आदेश की शर्तों के अनुरूप है, इसलिए वसूली तथा निलंबन आदेश रद्द किया जाए.

जिला विद्यालय निरीक्षक ने कॉलेज प्रबंध समिति को चार अध्यापकों की नियुक्ति करने की अनुमति दी. विधिक प्रक्रिया अपनाते हुए नियुक्ति कर अनुमोदन के लिए डीआईओएस को पत्रावली भेजी गई. कोई निर्णय न होने पर याचिका दाखिल की. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए शिक्षा निदेशक को निर्णय लेने का आदेश दिया.

निदेशक ने डीआईओएस को कोर्ट के आदेश का पालन करने का निर्देश दिया, जिसका पालन किया गया. लेकिन बाद में शासनादेश का हवाला देते हुए अध्यापकों को निलंबित कर वसूली आदेश जारी किया गया. इसे चुनौती दी गई है.

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