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इलाहाबाद हाइकोर्ट ने पीडीए के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन से कटौती पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाइकोर्ट ने पीडीए (प्रयागराज विकास प्राधिकरण) के सेवा निवृत्त कर्मचारियों की पेंशन से कटौती पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा है.

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इलाहाबाद हाइकोर्ट
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Published : Jul 28, 2022, 7:44 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन से कटौती पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार व प्राधिकरण से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने प्रकाश चन्द्र पाण्डेय व चार अन्य की याचिका पर दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता हौसिला प्रसाद मिश्र ने बहस की

अधिवक्ता हौसिला प्रसाद मिश्र का कहना है कि याची गण एडीए के कर्मचारी थे. 2019-20 में सेवानिवृत्त होने के बाद पूरी पेंशन पा रहे थे. अचानक मई 22 में पेंशन कम पेंशन 3000 से 6000 रुपये कम कर दी गई. कटौती करने से पहले कारण बताओ नोटिस नहीं दी गई है.

पढ़ेंः वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार बढ़ाएं न्यायिक अधिकारियों का वेतनमान: सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने जानकारी मांगी तो बताया गया कि याचियों ने 2017 में ही इस आशय का वचन दिया था. शासनादेश 28 मई 21 के आधार पर पेंशन में कमी की गई है. याची ने सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह केस का हवाला देते हुए कहा कि विभाग अधिक भुगतान की वसूली नहीं कर सकता. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब तलब किया है. याचिका की सुनवाई 29 अगस्त को होगी.

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प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त कर्मचारियों की पेंशन से कटौती पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार व प्राधिकरण से चार हफ्ते में जवाब मांगा है. यह आदेश न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने प्रकाश चन्द्र पाण्डेय व चार अन्य की याचिका पर दिया है.

याचिका पर अधिवक्ता हौसिला प्रसाद मिश्र ने बहस की

अधिवक्ता हौसिला प्रसाद मिश्र का कहना है कि याची गण एडीए के कर्मचारी थे. 2019-20 में सेवानिवृत्त होने के बाद पूरी पेंशन पा रहे थे. अचानक मई 22 में पेंशन कम पेंशन 3000 से 6000 रुपये कम कर दी गई. कटौती करने से पहले कारण बताओ नोटिस नहीं दी गई है.

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कोर्ट ने जानकारी मांगी तो बताया गया कि याचियों ने 2017 में ही इस आशय का वचन दिया था. शासनादेश 28 मई 21 के आधार पर पेंशन में कमी की गई है. याची ने सुप्रीम कोर्ट के रफीक मसीह केस का हवाला देते हुए कहा कि विभाग अधिक भुगतान की वसूली नहीं कर सकता. कोर्ट ने मुद्दा विचारणीय माना और सरकार से जवाब तलब किया है. याचिका की सुनवाई 29 अगस्त को होगी.

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