प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यमुना एक्सप्रेस-वे विकास प्राधिकरण की भूमि अधिग्रहण घोटाले की जांच कर रहे डिप्टी एसपी निशंक शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. शर्मा पर भूमि घोटाले के आरोपियों को बचाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप है.
हाईकोर्ट ने गाजियाबाद की सीबीआई की विशेष अदालत को निर्देश दिया है कि यदि याची अदालत में हाजिर हो तो उससे बांड भरा लिया जाए कि वह मुकदमे के विचारण में सहयोग करेगा. सुनवाई के दौरान स्वयं अथवा अधिवक्ता के माध्यम से हमेशा उपस्थित होगा.
सीबीआई की चार्जशीट पर अदालत ने याची के खिलाफ जमानती वारंट जारी कर तलब किया था. याचिका दाखिल कर आरोप पत्र रद्द करने और गिरफ्तारी के विरुद्ध संरक्षण दिए जाने की मांग की गई थी. यह आदेश न्यायमूर्ति अजित सिंह ने निशंक शर्मा की याचिका पर दिया है.
याची का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी का कहना था कि याची एक पुलिस अधिकारी है. जो कि यमुना एक्सप्रेस-वे भूमि घोटाले की जांच कर रहा था. उसने आरोपियों के खिलाफ 82/ 83 की कार्रवाई शुरू की और उनको गिरफ्तार भी किया. फर्जी सेल डीड और रकम भी बरामद की. याची के खिलाफ रिश्वत लेने का कोई मामला नहीं बनता है.
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि सीबीआई के दो दारोगा बीएस राठौर और सुनील दत्त तथा तहसीलदार रणवीर सिंह के बीच सांठगांठ चल रही थी. जिसके तहत दोनों दारोगा रणवीर सिंह को पुलिस जांच से बचाने के लिए रिश्वत मांग रहे थे. जानकारी होने पर सीबीआई ने छापा मारकर बीएस राठौर और रणवीर सिंह को पैसे का लेनदेन करते रंगे हाथ पकड़ा था. जबकि सुनील दत्त को मौके से फरार बताया गया.
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घोटाले की जांच उस समय याची निशंक शर्मा के पास थी. सीबीआई की जांच में कहीं भी उनका नाम नहीं आया है और सिर्फ कहा गया है कि किसी अज्ञात अधिकारी को रिश्वत देने का प्रोग्राम था. इसके बावजूद सीबीआई ने चार्जशीट में याची को रिश्वत लेने का आरोपी बना दिया, जबकि उसके विरुद्ध कोई साक्ष्य नहीं है. कोर्ट ने सीबीआई अदालत को निर्देश दिया है. सीबीआई के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्ञान प्रकाश का कहना था कि याची ने रिश्वत ली है या नहीं इसका जवाब देने के लिए उनको 3 सप्ताह का समय दिया जाए. कोर्ट में समय देते हुए सीबीआई से इस मामले में जवाब मांगा है.