प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रशासन से व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है कि कोर्ट के फैसले के खिलाफ आदेश कैसे दिया गया है. मनमाने तरीके से आदेश देने वाले अधिकारी की जवाबदेही क्यों न तय की जाय और उसकी सेवा पंजिका में प्रतिकूल टिप्पणी क्यों न दर्ज की जाय. याचिका की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने देशवंधु तेज नारायण मिश्र की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता कमला कांत मिश्र ने बहस की.
इनका कहना है कि याची के पिता की स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत रहते मृत्यु हो गई. याची ने मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने की अर्जी दी. जिस पर उसे 19 अगस्त 96 को नियुक्ति दी गई. किन्तु 23 मई 98 को नियुक्ति यह कहते हुए निरस्त कर दी कि नियुक्ति आदेश सक्षम प्राधिकारी ने नहीं दिया था. जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया. अपील भी खारिज हो गई. फिर भी याची को कार्यभार ग्रहण नहीं कराया गया, तो फिर से हाईकोर्ट की शरण ली.
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कोर्ट ने दुबारा निर्देश जारी किया, इसके बाद भी याची की अर्जी खारिज कर दी. जिसे चुनौती दी गई है. कोर्ट ने कहा कि याची के पिता विभाग में कार्यरत थे. सेवाकाल में मृत्यु हो गई. पुत्र होने के नाते याची को आश्रित कोटे में नियुक्ति पाने का अधिकार है. इस पर कोई विवाद नहीं है. जब कोर्ट ने नियुक्ति निरस्त करने के आदेश को रद्द कर दिया तो समझ से परे है कि कोर्ट के फैसले के बावजूद अधिकारी ने कैसे याची के दावे को खारिज कर दिया.
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