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प्रयागराज: हाइकोर्ट ने मुख्य सचिव राजेन्द्र प्रसाद तिवारी से मांगा हलफनामा

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Published : Sep 26, 2020, 3:47 PM IST

प्रयागराज में संगम पर वर्ष भर सुरक्षा इंतजाम के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट के साथ मुख्य सचिव से हलफनामा तलब करने का आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया है. इतना ही नहीं न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने सुनवाई करते हुए आदेश का पालन न होने पर अवमानना की कार्यवाही करने का आदेश दिया. गौरतलब है कि यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने टीना श्रीवास्तव और अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है.

संगम पर वर्ष भर सुरक्षा इंतजाम.
संगम पर वर्ष भर सुरक्षा इंतजाम.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संगम पर स्नान आदि के लिए आने वाले लोगों की वर्ष भर सुरक्षा इंतजाम करने के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट के साथ प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र प्रसाद तिवारी का व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि यदि जारी निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करेगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने टीना श्रीवास्तव और अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है. कोर्ट ने इस याचिका की अगली सुनवाई के लिए 26 नवम्बर का समय दिया है.

टीना श्रीवास्तव और अन्य की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता बालेश्वर चतुर्वेदी ने बहस की. याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने के लिए मुख्य सचिव ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. राज्य सरकार की तरफ से मांग की गई थी कि सुनवाई दो माह के लिए स्थगित की जाय, किन्तु कोर्ट ने इसे नहीं माना और आदेश का पालन करने का निर्देश दिया.

19 सितम्बर 2015 को कुछ लोग अस्थि विसर्जन के लिए संगम गये थे. इस दौरान जल निगम की नाव पर 18 लोग सवार थे. कुछ दूर जाने के बाद नाव यमुना नदी में पलट गई. इस हादसे में दूसरे नाविकों ने 15 लोगों को बचा लिया, किन्तु तीन लोग नदी में डूब गये. इन मृतकों में हाईकोर्ट के अधिवक्ता श्रवण कुमार श्रीवास्तव, अजय कुमार श्रीवास्तव और शंकर लाल मौर्य शामिल थे. इस मामले में याची मृतकों की पत्नियों ने याचिका दाखिल कर सुरक्षा उपायों सहित जीवन यापन के लिए मुआवजा दिलाने की मांग की थी.

कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को संगम पर स्नान आदि करने आने वाले लोगों की केवल माघ मेले में ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर सुरक्षा करने के इंतजाम करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने मुआवजे के मुद्दे पर कानून के अभाव के चलते आदेश तो नहीं दिया, लेकिन कोर्ट ने मुख्य सचिव से याचियों की स्थिति को देखते हुए आर्थिक सहायता या नौकरी देने के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया था. इन आदेशों का पालन न करने पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गई है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संगम पर स्नान आदि के लिए आने वाले लोगों की वर्ष भर सुरक्षा इंतजाम करने के आदेश की अनुपालन रिपोर्ट के साथ प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र प्रसाद तिवारी का व्यक्तिगत हलफनामा मांगा है. कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा है कि यदि जारी निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो कोर्ट उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करेगी. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने टीना श्रीवास्तव और अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है. कोर्ट ने इस याचिका की अगली सुनवाई के लिए 26 नवम्बर का समय दिया है.

टीना श्रीवास्तव और अन्य की अवमानना याचिका पर अधिवक्ता बालेश्वर चतुर्वेदी ने बहस की. याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करने के लिए मुख्य सचिव ने तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है. राज्य सरकार की तरफ से मांग की गई थी कि सुनवाई दो माह के लिए स्थगित की जाय, किन्तु कोर्ट ने इसे नहीं माना और आदेश का पालन करने का निर्देश दिया.

19 सितम्बर 2015 को कुछ लोग अस्थि विसर्जन के लिए संगम गये थे. इस दौरान जल निगम की नाव पर 18 लोग सवार थे. कुछ दूर जाने के बाद नाव यमुना नदी में पलट गई. इस हादसे में दूसरे नाविकों ने 15 लोगों को बचा लिया, किन्तु तीन लोग नदी में डूब गये. इन मृतकों में हाईकोर्ट के अधिवक्ता श्रवण कुमार श्रीवास्तव, अजय कुमार श्रीवास्तव और शंकर लाल मौर्य शामिल थे. इस मामले में याची मृतकों की पत्नियों ने याचिका दाखिल कर सुरक्षा उपायों सहित जीवन यापन के लिए मुआवजा दिलाने की मांग की थी.

कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को संगम पर स्नान आदि करने आने वाले लोगों की केवल माघ मेले में ही नहीं, बल्कि पूरे वर्ष भर सुरक्षा करने के इंतजाम करने का निर्देश दिया था. कोर्ट ने मुआवजे के मुद्दे पर कानून के अभाव के चलते आदेश तो नहीं दिया, लेकिन कोर्ट ने मुख्य सचिव से याचियों की स्थिति को देखते हुए आर्थिक सहायता या नौकरी देने के संबंध में निर्णय लेने का निर्देश दिया था. इन आदेशों का पालन न करने पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गई है.

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