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केस दर्ज होते ही बेवजह गिरफ्तारी मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन: हाईकोर्ट

एक हेट कॉन्स्टेबल की अग्रिम जामनत याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबा हाईकोर्ट ने अकारण गिरफ्तारी को मानवाधिकारों के खिलाफ बताया है. कोर्ट ने कहा कि मुकदमा दर्ज होने के बाद किसी की गिरफ्तारी का उपयोग अंतिम विकल्प और अपवाद स्वरूप किया जाना चाहिए.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट.
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Published : Jun 1, 2021, 6:32 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पुलिस विभाग में तैनात हेड कॉन्स्टेबल को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि आपराधिक केस दर्ज होते ही अकारण गिरफ्तारी मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि मुकदमा दर्ज होने के बाद किसी की गिरफ्तारी का उपयोग अंतिम विकल्प और अपवाद स्वरूप किया जाना चाहिए. गिरफ्तारी करना जरूरी हो तभी इस शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए. यही नहीं कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जोगिन्दर कुमार केस में उल्लिखित नेशनल पुलिस कमीशन की तीसरी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, भारत में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी ही पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का मुख्य स्रोत है.

ट्रकों को पास कराने के लिए पैसों की वसूली का है मामला

यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने अलीगढ़ में तैनात हेड कॉन्स्टेबल जुगेन्दर सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है. याची हेड कॉन्स्टेबल के खिलाफ 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत मुकदमा थाना- देलही गेट, अलीगढ़ में सब इंस्पेक्टर ने दर्ज कराया है. याची पर आरोप लगाया गया है कि वह एक अन्य सिपाही के साथ मिलकर ट्रकों को पास कराने के लिए पैसों की वसूली करता हैं. इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ. मामला संज्ञान में आने पर विभाग ने मुकदमा दर्ज कराया है.

इसे भी पढ़ें- तबलीगी जमात के लोगों के खिलाफ आपराधिक केस की अर्जी में दोबारा सुनवाई नहीं : हाईकोर्ट

याची ने कहा- झूठा है आरोप

याची हेड कॉन्स्टेबल की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची को गलत फंसाया गया है और लगाया गया आरोप झूठा है. याची से न तो कोई पैसों की रिकवरी हुई है और न ही वायरल वीडियो की फोरेन्सिक जांच करा कर इसकी सत्यता की पुष्टि ही की गई है. कहा गया था कि पुलिस इस गलत प्राथमिकी के आधार पर याची को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई थी. इस अग्रिम जमानत अर्जी का अपर शासकीय अधिवक्ता ने विरोध कर कहा कि मामला गंभीर है. याची की गिरफ्तारी की आशंका निराधार है. काल्पनिक डर के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती.

कोरोना संक्रमण के चलते सशर्त मिली जमानत

हाईकोर्ट ने याची पर लगे आरोप, अपराध की प्रकृति तथा कोरोना संक्रमण की बढ़ती दूसरी लहर एवं तीसरी लहर की संम्भावना पर विचार कर याची की अग्रिम जमानत की अर्जी को सशर्त मंजूर कर लिया. कोर्ट ने कहा कि याची के गिरफ्तारी की दशा में उसे पुलिस रिपोर्ट का कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने तक उसे 50 हजार के व्यक्तिगत बांड और इसी रकम के दो प्रतिभूति प्रस्तुत करने पर अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए.

कोर्ट ने इस अग्रिम जमानत में याची को जांच में सहयोग करने समेत कई शर्तें लगाई हैं. साथ ही कहा है कि इन शर्तों का याची के उल्लंघन करने पर जांच अधिकारी अथवा सरकारी वकील अग्रिम जमानत को निरस्त कराने की अर्जी दे सकता है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के एक मामले में पुलिस विभाग में तैनात हेड कॉन्स्टेबल को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि आपराधिक केस दर्ज होते ही अकारण गिरफ्तारी मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है. कोर्ट ने कहा कि मुकदमा दर्ज होने के बाद किसी की गिरफ्तारी का उपयोग अंतिम विकल्प और अपवाद स्वरूप किया जाना चाहिए. गिरफ्तारी करना जरूरी हो तभी इस शक्ति का प्रयोग किया जाना चाहिए. यही नहीं कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जोगिन्दर कुमार केस में उल्लिखित नेशनल पुलिस कमीशन की तीसरी रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि, भारत में पुलिस द्वारा गिरफ्तारी ही पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार का मुख्य स्रोत है.

ट्रकों को पास कराने के लिए पैसों की वसूली का है मामला

यह आदेश जस्टिस सिद्धार्थ ने अलीगढ़ में तैनात हेड कॉन्स्टेबल जुगेन्दर सिंह की अग्रिम जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए दिया है. याची हेड कॉन्स्टेबल के खिलाफ 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत मुकदमा थाना- देलही गेट, अलीगढ़ में सब इंस्पेक्टर ने दर्ज कराया है. याची पर आरोप लगाया गया है कि वह एक अन्य सिपाही के साथ मिलकर ट्रकों को पास कराने के लिए पैसों की वसूली करता हैं. इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ. मामला संज्ञान में आने पर विभाग ने मुकदमा दर्ज कराया है.

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याची ने कहा- झूठा है आरोप

याची हेड कॉन्स्टेबल की तरफ वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची को गलत फंसाया गया है और लगाया गया आरोप झूठा है. याची से न तो कोई पैसों की रिकवरी हुई है और न ही वायरल वीडियो की फोरेन्सिक जांच करा कर इसकी सत्यता की पुष्टि ही की गई है. कहा गया था कि पुलिस इस गलत प्राथमिकी के आधार पर याची को कभी भी गिरफ्तार कर सकती है. हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत की मांग की गई थी. इस अग्रिम जमानत अर्जी का अपर शासकीय अधिवक्ता ने विरोध कर कहा कि मामला गंभीर है. याची की गिरफ्तारी की आशंका निराधार है. काल्पनिक डर के आधार पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती.

कोरोना संक्रमण के चलते सशर्त मिली जमानत

हाईकोर्ट ने याची पर लगे आरोप, अपराध की प्रकृति तथा कोरोना संक्रमण की बढ़ती दूसरी लहर एवं तीसरी लहर की संम्भावना पर विचार कर याची की अग्रिम जमानत की अर्जी को सशर्त मंजूर कर लिया. कोर्ट ने कहा कि याची के गिरफ्तारी की दशा में उसे पुलिस रिपोर्ट का कोर्ट द्वारा संज्ञान लेने तक उसे 50 हजार के व्यक्तिगत बांड और इसी रकम के दो प्रतिभूति प्रस्तुत करने पर अग्रिम जमानत पर रिहा किया जाए.

कोर्ट ने इस अग्रिम जमानत में याची को जांच में सहयोग करने समेत कई शर्तें लगाई हैं. साथ ही कहा है कि इन शर्तों का याची के उल्लंघन करने पर जांच अधिकारी अथवा सरकारी वकील अग्रिम जमानत को निरस्त कराने की अर्जी दे सकता है.

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