प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि रास्ते से जबरन उठाकर गैंगरेप करने के आरोपियों को न्यूनतम 20 वर्ष सश्रम कारावास की सजा देकर सत्र न्यायालय ने उदारता बरती है. ऐसे अपराध के लिए उम्रकैद की सजा दी जा सकती है. यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने गैंगरेप के आरोपी अफसर व बजरू उर्फ बजरूल की अपील को खारिज करते हुए दिया है.
कोर्ट ने सजा के खिलाफ अपील खारिज करते हुए कहा कि पीड़िता और शिकायतकर्ता के बयान में एकरूपता, विश्वसनीयता और तारतम्यता सुसंगत साक्ष्य है. अभियोजन द्वारा पीड़िता के कपड़े नहीं लेने की गलती से कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता. एफआईआर 15 दिन देरी से दर्ज कराई गई.
कोर्ट ने कहा कि पीड़िता ग्रामीण परिवेश की है. प्रतिष्ठा का मान रखने के लिए उसके द्वारा घटना सार्वजनिक करना आसान नहीं है इसलिए एफआईआर में देरी अभियोजन पर संदेह नहीं कर सकती. तमंचा सटाकर पुलिया के पीछे गैंगरेप के चश्मदीद साक्ष्य के कारण सजा में कोई विधिक त्रुटि नहीं है.
मामले के तथ्यों के अनुसार संभल में गुन्नौर थाना क्षेत्र के मिठनपुर गांव की 19 वर्षीय पीड़िता को 14 जून 2016 को रास्ते में अफसर, हबीब और बजरू ने पकड़ लिया. उसे मोटरसाइकिल पर तमंचे से धमकाते हुए बैठाया और ट्यूबवेल के पीछे पुलिया पर ले जाकर गैंगरेप किया. पीड़िता के मां-बाप ढूंढते हुए पहुंचे तो आरोपी भाग गए और बाद में धमकी देते रहे.
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