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इलाहाबाद हाईकोर्ट की दो टूक: राम-कृष्ण के बिना भारत अधूरा, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं - धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है, पर कुछ प्रतिबंध भी है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. भगवान राम और कृष्ण (Lord Rama Krishna) के खिलाफ सोशल मीडिया में अश्लील टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Oct 9, 2021, 6:24 PM IST

Updated : Oct 9, 2021, 8:07 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression) असीमित नहीं है, पर कुछ प्रतिबंध भी है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया में अश्लील टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है. जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है. कोई ईश्वर को माने या न माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है.

भारतीय संस्कृति की धरोहर को कानून लाकर सम्मान देने की आवश्यकता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि भगवान राम, श्रीकृष्ण, रामायण और गीता इनके रचयिताओं, भारतीय संस्कृति की धरोहर महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वेदव्यास को भारतीय संसद में कानून लाकर सम्मान देने की आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि स्कूलों में इनकी शिक्षा अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए. क्योंकि शिक्षा से ही व्यक्ति संस्कारित होता है. वह जीवन मूल्यों और संस्कृति से विज्ञ होता है. कोर्ट ने कहा कि अच्छी शिक्षा ही बेहतर मनुष्य का निर्माण करती है. बहुतायत शिक्षा पाश्चात्य इतिहासकारों पर ही आधारित है, जिन्होंने चाटुकारिता और स्वार्थ में आकर भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है.

कोर्ट ने कहा हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की रही है. सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः. सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित दुःख भाग भवेत. ऐसी कामना करने वाले लोग हैं. कोर्ट ने भगवान राम कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी (Obscene Remarks Against Lord Rama Krishna) करने वाले आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश को दोबारा ऐसा अपराध न करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा कि याची पिछले 10 माह से जेल में बंद है. विचारण शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी दाताराम केस में कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद. इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हाथरस के आकाश जाटव की अर्जी पर दिया है.

याची का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट डाली. लिहाजा, वह निर्दोष है. और यह भी तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता. सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद अपने मामा के घर गया था. जहां अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल फोन में लगाकर अश्लील पोस्ट डाली है. मामला तूल पकडने के बाद जब एफआईआर दर्ज हुई तो उसने मोबाइल फोन और सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया. कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं. उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है. कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं. उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा संविधान बहुत उदार है. धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है. इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता.

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह अपराध है. कोर्ट ने यह भी कहा की ईद पर गोवध पर पाबंदी है, वध करना अपराध है, सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है. अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है. राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि यह अपराध है.

कोर्ट ने कहा हमारे ऋषि मुनियों ने इंसान को भगवान बनने के रास्ते दिखाये है. टैगोर जी ने कहा कि रामायण महाभारत में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं. महात्मा गांधी के जीवन में भी राम का महत्व रहा है. सामाजिक समरसता रामायण से इतर कहीं नहीं दिखती. सबरी के जूठे बेर खाने से लेकर निषादराज को गले लगाने तक सामाजिक समरसता का ही संदेश दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि तांडव सीरीज पर अभिव्यक्ति के असीमित अधिकार नहीं हैं.

भगवत गीता में कर्म फल सिद्धांत का वर्णन है. आत्मा अमर है.वह कपड़े की तरह शरीर वैसे बदलती है. जैसे बछड़ा झुंड में अपनी मां को ढूंढ़ लेता है. मन शरीर का हिस्सा है. सुख दुख का अहसास शरीर को ही होता है. भगवान कृष्ण ने कहा कर्म पर ध्यान दो,फल मुझ पर छोड़ो. वसुधैव कुटुंबकम् के भाव अन्य किसी भी देश में नहीं है. धर्म रक्षार्थ भगवान आते हैं।धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं.

इसे भी पढ़ें-आजाद पार्क से सभी अवैध निर्माण हटाने के लिए हाईकोर्ट का निर्देश, हलफनामा दे सरकार

राम-कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी माफी योग्य नहीं है. हिन्दुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी कृष्ण भक्त रहे हैं. कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर बताया कि रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह, नज़ीर अकबराबादी राम कृष्ण भक्त रहे हैं. कोर्ट ने कहा ऐसे में अभिव्यक्ति के नाम पर असीमित स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, और देश में अगर राम कृष्ण का अपमान होता है तो यह पूरे देश का अपमान है, जो बिल्कुल बर्दाश्त के लायक नहीं है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression) असीमित नहीं है, पर कुछ प्रतिबंध भी है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को दूसरे की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ सोशल मीडिया में अश्लील टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा है. जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना जरूरी है. कोई ईश्वर को माने या न माने, उसे किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है.

भारतीय संस्कृति की धरोहर को कानून लाकर सम्मान देने की आवश्यकता

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि भगवान राम, श्रीकृष्ण, रामायण और गीता इनके रचयिताओं, भारतीय संस्कृति की धरोहर महर्षि वाल्मीकि और महर्षि वेदव्यास को भारतीय संसद में कानून लाकर सम्मान देने की आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि स्कूलों में इनकी शिक्षा अनिवार्य रूप से दिया जाना चाहिए. क्योंकि शिक्षा से ही व्यक्ति संस्कारित होता है. वह जीवन मूल्यों और संस्कृति से विज्ञ होता है. कोर्ट ने कहा कि अच्छी शिक्षा ही बेहतर मनुष्य का निर्माण करती है. बहुतायत शिक्षा पाश्चात्य इतिहासकारों पर ही आधारित है, जिन्होंने चाटुकारिता और स्वार्थ में आकर भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है.

कोर्ट ने कहा हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुंबकम की रही है. सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः. सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां कश्चित दुःख भाग भवेत. ऐसी कामना करने वाले लोग हैं. कोर्ट ने भगवान राम कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी (Obscene Remarks Against Lord Rama Krishna) करने वाले आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश को दोबारा ऐसा अपराध न करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा कि याची पिछले 10 माह से जेल में बंद है. विचारण शीघ्र पूरा होने की संभावना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी दाताराम केस में कहा है कि जमानत अधिकार है और जेल अपवाद. इसलिए जमानत पर रिहा किया जाए. यह आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने हाथरस के आकाश जाटव की अर्जी पर दिया है.

याची का कहना था कि 28 नवंबर 2019 को किसी ने उसकी फर्जी आईडी तैयार कर सोशल मीडिया पर अश्लील पोस्ट डाली. लिहाजा, वह निर्दोष है. और यह भी तर्क दिया कि संविधान में अभिव्यक्ति की आजादी है, जिसे अपराध नहीं माना जा सकता. सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद अपने मामा के घर गया था. जहां अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल फोन में लगाकर अश्लील पोस्ट डाली है. मामला तूल पकडने के बाद जब एफआईआर दर्ज हुई तो उसने मोबाइल फोन और सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया. कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं. उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है. कोर्ट ने कहा संविधान में मूल अधिकार दिए गए हैं. उसी में से अभिव्यक्ति की आजादी का अधिकार भी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा संविधान बहुत उदार है. धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है. इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता.

कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह अपराध है. कोर्ट ने यह भी कहा की ईद पर गोवध पर पाबंदी है, वध करना अपराध है, सूचना प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है. अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है. राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना, अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी नहीं, बल्कि यह अपराध है.

कोर्ट ने कहा हमारे ऋषि मुनियों ने इंसान को भगवान बनने के रास्ते दिखाये है. टैगोर जी ने कहा कि रामायण महाभारत में भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं. महात्मा गांधी के जीवन में भी राम का महत्व रहा है. सामाजिक समरसता रामायण से इतर कहीं नहीं दिखती. सबरी के जूठे बेर खाने से लेकर निषादराज को गले लगाने तक सामाजिक समरसता का ही संदेश दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि तांडव सीरीज पर अभिव्यक्ति के असीमित अधिकार नहीं हैं.

भगवत गीता में कर्म फल सिद्धांत का वर्णन है. आत्मा अमर है.वह कपड़े की तरह शरीर वैसे बदलती है. जैसे बछड़ा झुंड में अपनी मां को ढूंढ़ लेता है. मन शरीर का हिस्सा है. सुख दुख का अहसास शरीर को ही होता है. भगवान कृष्ण ने कहा कर्म पर ध्यान दो,फल मुझ पर छोड़ो. वसुधैव कुटुंबकम् के भाव अन्य किसी भी देश में नहीं है. धर्म रक्षार्थ भगवान आते हैं।धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं.

इसे भी पढ़ें-आजाद पार्क से सभी अवैध निर्माण हटाने के लिए हाईकोर्ट का निर्देश, हलफनामा दे सरकार

राम-कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी माफी योग्य नहीं है. हिन्दुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी कृष्ण भक्त रहे हैं. कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर बताया कि रसखान, अमीर खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह, नज़ीर अकबराबादी राम कृष्ण भक्त रहे हैं. कोर्ट ने कहा ऐसे में अभिव्यक्ति के नाम पर असीमित स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, और देश में अगर राम कृष्ण का अपमान होता है तो यह पूरे देश का अपमान है, जो बिल्कुल बर्दाश्त के लायक नहीं है.

Last Updated : Oct 9, 2021, 8:07 PM IST
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