प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सिर्फ एफआईआर दर्ज होने के कारण पर कर्मचारी को निलंबन करने को सही नहीं माना जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी के आरोपों को ही विभागीय चार्जशीट में भी दर्ज किया गया है. इसका अर्थ है कि निलंबन आदेश जारी करने वाले अधिकारी ने अपने विवेक का प्रयोग नहीं किया है. कोर्ट ने निलंबन आदेश रद़द करते हुए याची को विभागीय चार्जशीट पर अपनी आपत्ति दाखिल करने का समय दिया है. खाद्य नियंत्रक कार्यालय मिर्जापुर में कार्यरत तृतीय श्रेणी कर्मचारी राजकुमार तिवारी की याचिका पर न्यायमूर्ति नीरज तिवारी ने सुनवाई की.
राज्य सरकार की नीति के तहत ट्रांसपोर्ट कांट्रैक्टर की नियुक्ति की जानी थी, जिसके एक कमेटी गठित की गई. कुल चार कंपनियों ने इसके लिए टेंडर डाले, जिसमें से मेसर्स लैपटाप केयर को ठेका आवंटित किया गया. बाद में कुछ शिकायतों के आधार पर उसका ठेका रद्द कर दिया गया. प्रतिस्पर्धी कंपनी विनीत इंटर प्राइजेज ने ठेका न मिलने पर मेसर्स लैप टाप और याची सहित कई लोगों के खिलाफ गोपीगंज थाने में मुकदमा दर्ज करा दिया. इस प्राथमिकी के आधार पर याची को निलंबित कर दिया गया. याची पक्ष ते वकील अनूप त्रिवेदी का कहना था कि विंध्याचल मंडल में क्षेत्रीय खाद्य नियंत्रक कार्यालय में याची तृतीय श्रेणी कर्मचारी है.
वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना था कि कोर्ट द्वारा इस मामले में जवाब मांगने के बाद याची को आनन-फानन में विभाग ने अपना बचाव करने के इरादे से चार्जशीट पकड़ा दी. चार्जशीट में याची के खिलाफ कोई तथ्य नहीं है. कोर्ट ने दस्तावेजों को देखने के बाद कहा कि चार्जशीट प्राथमिकी के आधार पर तैयार की गई है. कोई अलग से जांच नहीं की गई. कोर्ट ने निलंबन आदेश रद्द कर दिया है.