प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकारी कर्मचारी के खिलाफ यदि विभागीय कार्यवाही और आपराधिक मुकदमा दोनों एक साथ चल रहा है. साथ ही दोनों में आरोप और साक्ष्य एक समान हैं तो ऐसी स्थिति में विभागीय कार्यवाही रोक देनी चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा है कि विभागीय कार्यवाही के लिए आपराधिक केस के फैसले का इंतजार करना चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने दारोगा शहनाज़ हैदर जैदी की याचिका पर दिया.
हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों को याची के खिलाफ निर्धारित विधि सिद्धांत के आधार पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है. याची की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का कहना था कि याची के खिलाफ बदायूं के कुंवार गांव थाने में 12 अक्टूबर 2020 को 40 हजार रुपये रिश्वत लेने के आरोप का केस दर्ज है. इसी मामले में उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही भी शुरू की गई है. दोनों मामले एक हैं और जांच का आधार व साक्ष्य एक ही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कैप्टन एमए एंटोनी केस में कहा है कि यदि विभागीय और आपराधिक जांच एक ही तथ्य और साक्ष्य पर आधारित है तो आपराधिक कार्यवाही का निर्णय होने तक विभगीय कार्यवाही रोक देनी चाहिए. हाईकोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया है कि याची के मामले में विधि व्यवस्था के तहत तीन माह में निर्णय लिया जाए.