प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि दो बालिगों के परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी करने पर अभियोजन को अपहरण का केस चलाने की अनुमति देना न केवल कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग है वरन् सुखी वैवाहिक जीवन मे हस्तक्षेप करना है. ऐसा एफआईआर रद्द होने योग्य है.
कोर्ट ने इटावा की कोतवाली में अपहरण के आरोप में दर्ज प्राथमिकी व कार्यवाही को अनुच्छेद 226 की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए रद्द कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ के जे ठाकर तथा न्यायमूर्ति अजीत सिंह की खंडपीठ ने कपिल व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
ये भी पढ़ें: सीएमओ डॉ. हरगोविंद सिंह के फर्जी मामले में कार्यवाही पर रोक
याची अधिवक्ता दिनेश कुमार मिश्र का कहना था कि पीड़िता की उम्र 19 साल व याची की उम्र 23 साल है. दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से शादी की है. किन्तु लड़की के परिवार वालों ने अपहरण का केस दर्ज कराया है. याची पर अपहरण का कोई केस बनता ही नहीं है. इस पर सहमत होते हुए कोर्ट ने दर्ज एफआईआर और कार्यवाही रद्द कर दी है.