ETV Bharat / state

चुनावी प्रक्रिया शुरू होने के कारण कोर्ट का हस्तक्षेप से इंकार - panchayat election reservation list

राज्य सरकार की आपत्ति के बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जिले में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति न होने के बावजूद ग्राम पंचायत चुनाव मे ग्राम प्रधान की सीट आरक्षित करने के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति  सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने गोरखपुर जिले के परमात्मा नायक व दो अन्य की याचिका पर दिया है.

इलाहाबाद हाई कोर्ट
इलाहाबाद हाई कोर्ट
author img

By

Published : Apr 2, 2021, 2:15 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूरे जिले में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति न होने के बावजूद ग्राम पंचायत चुनाव मे ग्राम प्रधान की सीट आरक्षित करने के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से आपत्ति की गयी कि पंचायत चुनाव की अधिसूचना राज्य चुनाव आयोग ने जारी कर दी है. संविधान के अनुच्छेद 243ओ के अनुसार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट को चुनाव मे हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. इसलिए याचिका पोषणीय न होने के कारण खारिज की जाय. जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने गोरखपुर जिले के परमात्मा नायक व दो अन्य की याचिका पर दिया है. मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर स्पेशल कोर्ट बैठी और शुक्रवार को अवकाश के दिन याचिका की सुनवाई हुई. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर मिश्र, केएम मिश्र तथा राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन विहारी पांडेय, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता संजय कुमार सिंह व स्थायी अधिवक्ता देवेश विक्रम ने बहस की.

याचिका में कहा गया था कि गोरखपुर जिले मे कोई भी अनुसूचित जन जाति का व्यक्ति नहीं है. इसके बावजूद सरकार ने 26 मार्च 21 को जारी आरक्षण सूची मे चावरियां बुजुर्ग, चावरियां खुर्द व महावर कोल ग्राम सभा सीट को आरक्षित घोषित कर दिया. जो संविधान के उपबंधो का खुला उल्लंघन है. आरक्षण के रिकार्ड तलब कर रद्द किया जाय और याचियों को चुनाव लड़ने की छूट दी जाय. मुख्य स्थायी अधिवक्ता की याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूरे जिले में अनुसूचित जनजाति का एक भी व्यक्ति न होने के बावजूद ग्राम पंचायत चुनाव मे ग्राम प्रधान की सीट आरक्षित करने के खिलाफ याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है. कोर्ट के समक्ष राज्य सरकार की तरफ से आपत्ति की गयी कि पंचायत चुनाव की अधिसूचना राज्य चुनाव आयोग ने जारी कर दी है. संविधान के अनुच्छेद 243ओ के अनुसार चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद कोर्ट को चुनाव मे हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. इसलिए याचिका पोषणीय न होने के कारण खारिज की जाय. जिसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचिका खारिज दी है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की खंडपीठ ने गोरखपुर जिले के परमात्मा नायक व दो अन्य की याचिका पर दिया है. मुख्य न्यायाधीश के आदेश पर स्पेशल कोर्ट बैठी और शुक्रवार को अवकाश के दिन याचिका की सुनवाई हुई. याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर मिश्र, केएम मिश्र तथा राज्य सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन विहारी पांडेय, अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता संजय कुमार सिंह व स्थायी अधिवक्ता देवेश विक्रम ने बहस की.

याचिका में कहा गया था कि गोरखपुर जिले मे कोई भी अनुसूचित जन जाति का व्यक्ति नहीं है. इसके बावजूद सरकार ने 26 मार्च 21 को जारी आरक्षण सूची मे चावरियां बुजुर्ग, चावरियां खुर्द व महावर कोल ग्राम सभा सीट को आरक्षित घोषित कर दिया. जो संविधान के उपबंधो का खुला उल्लंघन है. आरक्षण के रिकार्ड तलब कर रद्द किया जाय और याचियों को चुनाव लड़ने की छूट दी जाय. मुख्य स्थायी अधिवक्ता की याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.