प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के हाई स्कूल और इंटर कॉलेजों में 2004 में भर्ती किए गए टीजीटी अध्यापकों को पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने की मांग में दाखिल याचिका पर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है.
हाईकोर्ट ने कहा पुरानी पेंशन नहीं दी जा सकती
कोर्ट ने कहा है कि मार्च 2005 में पुरानी पेंशन स्कीम समाप्त हो गई है. अप्रैल 2005 से नई पेंशन स्कीम लागू होने के बाद याचियों की नियुक्ति की गई है. ऐसे में इन्हें पुरानी पेंशन नहीं दी जा सकती. यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने मुद्रेश कुमार और चार अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिया है.
टीजीटी अध्यापकों का साक्षात्कार जुलाई से सितम्बर 2005 में हुए. वहीं 5 सितंबर से 6 फरवरी तक परिणाम घोषित किए गए थे. 5 अक्टूबर से 6 अक्टूबर तक विभिन्न विषयों के अध्यापकों की नियुक्ति की गई थी. याचियों ने महेश नारायण केस का हवाला देते हुए कहा कि सिंचाई विभाग के कनिष्ठ अभियंता की नियुक्ति 6 मार्च को की गई थी. कोर्ट ने उन्हें पुरानी पेंशन देने का निर्देश दिया है. इसी आधार पर उन्हें भी पुरानी पेंशन दी जाए.
पुरानी पेंशन पाने का नहीं है कोई हक: कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि कनिष्ठ अभियंता की भर्ती 2000 में हुई थी, जो मुकदमेबाजी में उलझी रही. इस नियुक्ति में सरकार की गलती से देरी हुई. याचियों के मामले में ऐसा नहीं है. टीजीटी अध्यापकों की भर्ती नियमानुसार पूरी की गई और याचियों की नियुक्ति मार्च 2005 के बाद हुई. इसलिए उन्हें पुरानी पेंशन पाने का हक नहीं है.