प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीलीभीत पूरनपुर पुलिस द्वारा कोतवाली ले जाकर पूरे परिवार पर थर्ड डिग्री टार्चर करने और आपराधिक केस में लिप्त बताने के दोनों एफआईआर की निष्पक्ष विवेचना का निर्देश दिया है और कहा है कि पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने दोनों कार्रवाई तीन माह में पूरी करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा कि उत्पीड़न के आरोपी पुलिस अधिकारियों का निलंबन या तबादला केवल दिखावा है. उन पर ठोस कार्रवाई की जानी चाहिए.
यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने रेशम सिंह की याचिका पर दिया है. याचिका में घटना की निष्पक्ष जांच कराने, दोषी पुलिस अधिकारियों की तत्काल गिरफ्तारी करने और कोर्ट की मानीटरिंग करने की मांग की गई थी. याची अपनी दो बहनों के साथ 2 मई 2021 को गमी में शामिल होने पीलीभीत से लखीमपुर खीरी कार से जा रहा था. सुबह 9 बजे अनाज मंडी पर पुलिस ने रोक लिया और गाड़ी के कागज मांगे. दिखाने में समय लगने पर पुलिस कर्मी गाली गलौज करने लगे. विरोध करने पर कोतवाली लाकर मारा पीटा. दूसरे दिन एफआईआर दर्ज करा दी गई.
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कोतवाली पुलिस की वारदात का वीडियो सोसल मीडिया पर वायरल हुआ तो सिखों में उबाल आ गया. दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने गृह मंत्रालय में शिकायत की तो याची की एफआईआर दर्ज की गई. एसपी ने प्राथमिक जांच नहीं की. पुलिस का तबादला कर दिया गया. पुलिस पर कार्रवाई न करने पर यह याचिका दायर की गई थी.
कोर्ट ने जवाब मांगा तो सीओ क्राइम बरेली स्वेता कुमारी ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि याची के खिलाफ कई धाराएं हटा ली गई हैं. परिवार के खिलाफ कार्रवाई खत्म कर दी गई है. पुलिस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है. जिस पर कोर्ट ने पुलिस और याची दोनों की तरफ से दर्ज एफआईआर की निष्पक्ष जांच करने का निर्देश दिया है. साथ ही पुलिस पर विभागीय कार्रवाई करने को कहा है.