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69000 शिक्षक भर्ती मामलाः कोर्ट ने कहा- फार्म भरने में हुई गलती मानवीय भूल नहीं

यूपी की 69 हजार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर जो विवाद शुरू हुए वह रुकने का नाम नहीं ला रहा है. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऑनलाइन फार्म भरने में हुई गलती को मानवीय भूल मानने से इनकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि गलतियों को सुधारने की अनुमति दी गई तो इसका दुरुपयोग किया जाएगा.

69000 teachers case
69000 शिक्षक भर्ती मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई.
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Published : Jun 5, 2020, 12:18 PM IST

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में ऑनलाइन फार्म भरने में हुई गलती को मानवीय भूल मानने से इनकार कर दिया है. साथ ही इस गलती को सुधारने की अनुमति की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसी गलतियों को सुधारने की अनुमति दी गई तो इसका दुरुपयोग किया जाएगा. अभ्यर्थी गलती का लाभ उठाएंगे और पकड़े जाने पर मानवीय भूल कहकर गलती से पल्ला झाड़ लेंगे.

कोर्ट ने कहा कि जिसने गलती की है उसे उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने आशुतोष कुमार श्रीवास्तव और 60 अन्य की याचिका पर दिया है. याची अधिवक्ता सीमान्त सिंह का कहना था कि याचियों ने ऑनलाइन फार्म भरने में बी. एड के पूर्णांक और प्राप्तांक भरने में गलती की है. याची भर्ती परीक्षा में सफल घोषित हुए हैं. कम्प्यूटर ऑपरेटरों की गलती मानवीय भूल है, जिसे दुरुस्त करने की अनुमति दी जाय.

याची की इस दलील को राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने विरोध किया और कहा कि यह घोर लापरवाही है. सुधारने की छूट दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकती है. कोर्ट ने कहा कि गलती मानवीय भूल नहीं है. फार्म भरते समय निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है.

इसे भी पढ़ें- छूट मिली तो संगमनगरी में लगने लगी आस्था की डुबकी

कोर्ट ने इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचियों के परीक्षा नियामक प्राधिकारी को दिए गए प्रत्यावेदन को निर्णीत करने का निर्देश दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि बहस के लिए एक और विन्डो नहीं खोली जा सकती. कोर्ट ने याचिका पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया है.

प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हजार शिक्षक भर्ती में ऑनलाइन फार्म भरने में हुई गलती को मानवीय भूल मानने से इनकार कर दिया है. साथ ही इस गलती को सुधारने की अनुमति की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि यदि ऐसी गलतियों को सुधारने की अनुमति दी गई तो इसका दुरुपयोग किया जाएगा. अभ्यर्थी गलती का लाभ उठाएंगे और पकड़े जाने पर मानवीय भूल कहकर गलती से पल्ला झाड़ लेंगे.

कोर्ट ने कहा कि जिसने गलती की है उसे उसके परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने आशुतोष कुमार श्रीवास्तव और 60 अन्य की याचिका पर दिया है. याची अधिवक्ता सीमान्त सिंह का कहना था कि याचियों ने ऑनलाइन फार्म भरने में बी. एड के पूर्णांक और प्राप्तांक भरने में गलती की है. याची भर्ती परीक्षा में सफल घोषित हुए हैं. कम्प्यूटर ऑपरेटरों की गलती मानवीय भूल है, जिसे दुरुस्त करने की अनुमति दी जाय.

याची की इस दलील को राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी ने विरोध किया और कहा कि यह घोर लापरवाही है. सुधारने की छूट दुरुपयोग को बढ़ावा दे सकती है. कोर्ट ने कहा कि गलती मानवीय भूल नहीं है. फार्म भरते समय निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है.

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कोर्ट ने इस मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचियों के परीक्षा नियामक प्राधिकारी को दिए गए प्रत्यावेदन को निर्णीत करने का निर्देश दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि बहस के लिए एक और विन्डो नहीं खोली जा सकती. कोर्ट ने याचिका पर कोई राहत देने से इनकार कर दिया है.

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