प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गौतमबुद्धनगर के प्राइवेट बिल्डर जसवीर मान की रासुका के तहत निरुद्ध को वैध करार दिया है. इतना ही नहीं निरुद्ध आदेश के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि याची के खिलाफ जिलाधिकारी द्वारा लोक शांति भंग होने केे अंदेशे के आधार पर रासुका के तहत कार्यवाही की गई है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति पीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने दिया है.
जसवीर मान, मान प्रॉपर्टीज एंड डेवलपर के मालिक और बिल्डर हैं. इन्होंने शाहबेरी गांव में किसानों से जमीन खरीदकर बिना नक्शा पास कराए 261 फ्लैटों का निर्माण करा लिया. इस क्षेत्र में बिल्डरों ने कुल मिलाकर 431 फ्लैट काअवैध रूप से निर्माण कराया है.
किसानों की जमीन का अधिग्रहण ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी द्वारा पहले ही किया जा चुका है. इसके बावजूद बिल्डरों ने अवैध रूप से किसानों से जमीन खरीदी और उस पर बिना प्राधिकरण की अनुमति के बिना नक्शा पास कराये निर्माण करा लिया. मल्टी स्टोरी बिल्डिंग खड़ी कर ली. निर्माण में घटिया मेटेरियल लगाया गया है. याची ने 261 फ्लैटों में से 169 फ्लैट बेच दिए हैं.
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2017-18 में बने फ्लैट अवैध रूप से बेचे जा रहे हैं, जिसमें 9 लोगों की जान भी गई थी. इस मामले को लेकर बिल्डरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई तो याची व अन्य बिल्डरों ने फ्लैट खरीदने वालों को उकसाया और धरना प्रदर्शन कराकर कानून व्यवस्था की स्थिति बिगाड़ी. इस मामले में याची गिरफ्तार किया गया. जेल में ही जिलाधिकारी ने रासुका लगाई.
जिलाधिकारी का कहना है कि अगर याची जेल से बाहर आया तो लोक शांति को भंग कर सकता है. जिस पर कोर्ट ने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और याचिका खारिज कर दी है.