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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने किया सचिव शिक्षा मंत्रालय लखनऊ के खिलाफ जमानती वारंट जारी

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव शिक्षा मंत्रालय लखनऊ के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है. कोर्ट ने स्पष्टीकरण के साथ 29 नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने बलिया के विजय कुमार की याचिका पर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Oct 28, 2021, 10:16 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव शिक्षा मंत्रालय लखनऊ के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है और सीजेएम के मार्फत वारंट तामील कर स्पष्टीकरण के साथ 29 नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पूछा है कि समय दिए जाने के बावजूद क्यों नहीं जवाब दिया या फिर सरकारी वकील को कोई जानकारी ही दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने बलिया के विजय कुमार की याचिका पर दिया है.

मालूम हो कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एलनगंज प्रयागराज ने साइंस के सहायक अध्यापक भर्ती के लिए 12 पद अनुसूचित जनजाति के लिए 2020 में विज्ञापन निकाला गया. इसे बाद में निरस्त कर दिया गया. बोर्ड के उपसचिव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत सर्कुलर जारी किया, जिसमें साइंस ‌और बायोलाजी के अलग-अलग पद विज्ञापित किये गये. इसमें से कुछ अनुसूचित जनजाति के भी हैं. इसे यह कहते हुए चुनौती दी गई कि पद कम होने से याची को अवसर से वंचित किया गया है.

कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा. 30 सितंबर 21 को जवाब दाखिल करने या रिकॉर्ड के साथ 28 अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था. इसके बावजूद न तो जवाबी हलफनामा दाखिल किया और न ही हाजिर हुए. इसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है और 29 नवंबर को पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी किया है.

इसे भी पढ़ें - पेंशन भुगतान मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CMO व निदेशक को दिया तीन माह का वक्त

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव शिक्षा मंत्रालय लखनऊ के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है और सीजेएम के मार्फत वारंट तामील कर स्पष्टीकरण के साथ 29 नवंबर को हाजिर होने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने पूछा है कि समय दिए जाने के बावजूद क्यों नहीं जवाब दिया या फिर सरकारी वकील को कोई जानकारी ही दी. यह आदेश न्यायमूर्ति सरल श्रीवास्तव ने बलिया के विजय कुमार की याचिका पर दिया है.

मालूम हो कि माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एलनगंज प्रयागराज ने साइंस के सहायक अध्यापक भर्ती के लिए 12 पद अनुसूचित जनजाति के लिए 2020 में विज्ञापन निकाला गया. इसे बाद में निरस्त कर दिया गया. बोर्ड के उपसचिव ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत सर्कुलर जारी किया, जिसमें साइंस ‌और बायोलाजी के अलग-अलग पद विज्ञापित किये गये. इसमें से कुछ अनुसूचित जनजाति के भी हैं. इसे यह कहते हुए चुनौती दी गई कि पद कम होने से याची को अवसर से वंचित किया गया है.

कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा. 30 सितंबर 21 को जवाब दाखिल करने या रिकॉर्ड के साथ 28 अक्टूबर को हाजिर होने का निर्देश दिया था. इसके बावजूद न तो जवाबी हलफनामा दाखिल किया और न ही हाजिर हुए. इसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है और 29 नवंबर को पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी किया है.

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