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अध्यापक की विधवा को पति की ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प देने वाले सहायक अध्यापक ग्रेच्युटी पाने का हकदार है. इसलिए ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इनकार करना मनमानापूर्ण है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Jan 18, 2021, 10:42 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प देने वाले सहायक अध्यापक ग्रेच्युटी पाने का हकदार है. इसलिए ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इनकार करना मनमानापूर्ण है.

सरकार पर लगाया पांच हजार का हर्जाना

कोर्ट ने राज्य सरकार पर 5 हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए तीन हफ्ते में विधवा याची को उसके पति की बकाया ग्रेच्युटी का मय ब्याज के भुगतान करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने रोशन अख्तर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

याची के पति मुज्जमिल अली खान महात्मा गांधी पालिका इंटर कॉलेज उझानी, बदायूं में सहायक अध्यापक थे. उन्होंने 60 साल में सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया और उन्हें सत्र लाभ देते हुए 30 जून 2012 को सेवानिवृत्ति दे दी गई. ग्रेच्युटी के अलावा सारे भुगतान कर दिए गए और ग्रेच्युटी देने से मनमाने ढंग से इनकार कर दिया गया, जिस पर यह याचिका दाखिल की गई थी. कोर्ट ने सरकार से दो बार जवाब मांगा और तीसरी बार अंतिम अवसर देने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया गया. इस पर कोर्ट ने बिना सरकारी जवाब के याचिका मंजूर कर ली है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि 60 साल में सेवानिवृत्ति विकल्प देने वाले सहायक अध्यापक ग्रेच्युटी पाने का हकदार है. इसलिए ग्रेच्युटी का भुगतान करने से इनकार करना मनमानापूर्ण है.

सरकार पर लगाया पांच हजार का हर्जाना

कोर्ट ने राज्य सरकार पर 5 हजार रुपये का हर्जाना लगाते हुए तीन हफ्ते में विधवा याची को उसके पति की बकाया ग्रेच्युटी का मय ब्याज के भुगतान करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्र ने रोशन अख्तर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

याची के पति मुज्जमिल अली खान महात्मा गांधी पालिका इंटर कॉलेज उझानी, बदायूं में सहायक अध्यापक थे. उन्होंने 60 साल में सेवानिवृत्ति का विकल्प दिया और उन्हें सत्र लाभ देते हुए 30 जून 2012 को सेवानिवृत्ति दे दी गई. ग्रेच्युटी के अलावा सारे भुगतान कर दिए गए और ग्रेच्युटी देने से मनमाने ढंग से इनकार कर दिया गया, जिस पर यह याचिका दाखिल की गई थी. कोर्ट ने सरकार से दो बार जवाब मांगा और तीसरी बार अंतिम अवसर देने के बावजूद जवाब दाखिल नहीं किया गया. इस पर कोर्ट ने बिना सरकारी जवाब के याचिका मंजूर कर ली है.

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