प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग प्रयागराज को निर्देश दिया है कि प्रदेश के विभिन्न डिग्री कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद के लिए चयनित अभ्यर्थियों को पूर्व की तरह काम करने दिया जाए तथा उनके काम में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचाए जाए. अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर आशंका जताई है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती का परिणाम पुनरीक्षित होने के बाद उनकी नियुक्तियां प्रभावित हो सकती हैं. परिणाम संशोधित करते समय ना तो उनको पक्षकार बनाया गया और ना ही उनका पक्ष सुना गया. मामले में हेमलता सैनी सहित कई अन्य की अपील पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने सुनवाई की.
अभ्यर्थियों का कहना है कि वह असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में चयनित होकर नियुक्ति पा चुके हैं. इसके बाद उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग द्वारा स्वयं ही यह कहते हुए परिणाम संशोधित कर दिया गया कि कुछ अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट को जांचने में गलती हुई है तथा उन्हें कई प्रश्नों के अंक नहीं मिले हैं. दूसरी ओर ओएमआर शीट में गलतियों को लेकर तमाम अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट की एकल न्याय पीठ ने आयोग को परिणाम संशोधित करने की अनुमति दे दी.
अपील करने वाले अभ्यर्थियों ने कहा कि हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया. एकल न्याय पीठ ने अपने फैसले में या नहीं कहा है कि पूर्व में घोषित परिणाम दोषपूर्ण है. अपील कर्ता अभ्यर्थियों का कहना है कि संशोधित परिणाम जारी होने के बाद उनकी सेवाएं समाप्त हो सकती हैं. इसलिए उनको एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने का अधिकार है. उनका यह भी कहना था कि चयनित अभ्यर्थियों को सुनवाई का मौका दिए बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता है.
इसी मामले को लेकर पूर्व में दाखिल कुछ अन्य अपीलों पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों के काम करने में दखल नहीं देने का निर्देश देते हुए आयोग व राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने चयनित अभ्यर्थियों के काम में दखल नहीं देने का निर्देश देते हुए इन अपीलों को भी पूर्व में दाखिल अपीलों के साथ संबद्ध करने का निर्देश दिया है.
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