ETV Bharat / state

HC ने पूछा ज्ञानवापी परिसर में क्षति पहुंचाए बिना कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग हो सकती है या नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की कार्बन डेटिंग मामले में पुरातत्व विभाग से पूछा है कि क्षति पहुंचाए बगैर कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराई जा सकती है या नहीं.

author img

By

Published : Nov 21, 2022, 6:58 PM IST

Updated : Nov 21, 2022, 7:52 PM IST

Etv bharat
HC ने पूछा क्षति पहुंचाए बिना शिवलिंग की कार्बन डेटिंग हो सकती है या नहीं

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (gyanvapi mosque complex) की कार्बन डेटिंग (carbon dating) सहित साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग में दाखिल याचिका पर पुरातत्व विभाग से पूछा है कि क्षति पहुंचाए बगैर कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराई जा सकती है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति आदेश को देखते हुए साइंटिफिक सर्वे कराने की अर्जी खारिज की है क्योंकि आशंका व्यक्त की गई है कि कार्बन डेटिंग से कथित शिवलिंग को क्षति हो सकती है.

कोर्ट ने कहा कि गवाही नहीं हो सकती और आकार को बिना नुकसान उसकी आयु का निर्धारण किया जाना जरूरी है. कोर्ट ने राज्य सरकार के प्रमुख सचिव धर्मार्थ विभाग से भी जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लक्ष्मी देवी व तीन अन्य की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है. याचिका पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि साइंटिफिक सर्वे होने से ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग सहित अन्य धार्मिक निर्माण की सही जानकारी मिल सकेगी. यह भी पता चल सकेगा कि वहां मिले शिवलिंग व अन्य मूर्तियां व धार्मिक वस्तुएं कितनी पुरानी हैं. जिला अदालत वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग में अर्जी दाखिल की गई थी. अदालत ने यह कहते हुए उक्त अर्जी 14 अक्टूबर को खारिज कर दी कि ऐसा करने से निर्माण को क्षति पहुंच सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने परिसर की यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है. याचिका में जिला न्यायालय के इसी आदेश को चुनौती दी गई है.

केंद्र सरकार की ओर से तीन महीने का समय मांगा गया लेकिन कोर्ट ने 30 नवंबर तक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. साथ ही राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय को भी प्रमुख सचिव का हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.

ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंपने की याचिका पर अगली सुनवाई 30 नवंबर को
वाराणसी में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर सोमवार को जिला जज न्यायालय में सुनवाई हुई. यह सुनवाई 4 वादी महिलाओं के प्रार्थना पत्र पर हुई. जिसमें इन वादी महिलाओं ने सीनियर जज सिविल डिवीजन की अदालत में विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग के पूजा अधिकार और ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदुओं के अधिकार को लेकर याचिका दायर की है. इस प्रार्थना पत्र के खिलाफ वादी पक्ष की सीता साहू , रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास की तरफ से प्रार्थना पत्र अभी आ गया है जिस पर अब अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी.

ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार के लिए वाराणसी की सिविल कोर्ट में मुकदमा पहले ही दाखिल किया गया है. मुकदमे में यह भी मांग की गई है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रह की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए. इन्हीं 5 महिलाओं में से लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने जिला जज की कोर्ट में एप्लिकेशन दी है. चारों महिलाओं का कहना है कि दोनों मुकदमों में शामिल मूल मुद्दे समान और महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे पूरे हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं से संबंधित हैं इसलिए, उन्हें एक साथ सुना जाना चाहिए. एप्लिकेशन पर सुनवाई करते हुए जिला न्यायाधीश ने आदेश दिया है कि इसे प्रकीर्ण वाद के रूप में पंजीकृत किया जाए. साथ ही मामले से संबंधित विवरण जिला न्यायाधीश के न्यायालय को भेजा जाए.

ये भी पढ़ेंः जौहर विश्वविद्यालय से पुलिस बल हटाने की आजम खान की याचिका खारिज

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर (gyanvapi mosque complex) की कार्बन डेटिंग (carbon dating) सहित साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग में दाखिल याचिका पर पुरातत्व विभाग से पूछा है कि क्षति पहुंचाए बगैर कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराई जा सकती है या नहीं. कोर्ट ने कहा कि अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति आदेश को देखते हुए साइंटिफिक सर्वे कराने की अर्जी खारिज की है क्योंकि आशंका व्यक्त की गई है कि कार्बन डेटिंग से कथित शिवलिंग को क्षति हो सकती है.

कोर्ट ने कहा कि गवाही नहीं हो सकती और आकार को बिना नुकसान उसकी आयु का निर्धारण किया जाना जरूरी है. कोर्ट ने राज्य सरकार के प्रमुख सचिव धर्मार्थ विभाग से भी जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी. यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने लक्ष्मी देवी व तीन अन्य की पुनरीक्षण याचिका पर दिया है. याचिका पर हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि साइंटिफिक सर्वे होने से ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग सहित अन्य धार्मिक निर्माण की सही जानकारी मिल सकेगी. यह भी पता चल सकेगा कि वहां मिले शिवलिंग व अन्य मूर्तियां व धार्मिक वस्तुएं कितनी पुरानी हैं. जिला अदालत वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग में अर्जी दाखिल की गई थी. अदालत ने यह कहते हुए उक्त अर्जी 14 अक्टूबर को खारिज कर दी कि ऐसा करने से निर्माण को क्षति पहुंच सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने परिसर की यथास्थिति कायम रखने का आदेश दिया है. याचिका में जिला न्यायालय के इसी आदेश को चुनौती दी गई है.

केंद्र सरकार की ओर से तीन महीने का समय मांगा गया लेकिन कोर्ट ने 30 नवंबर तक स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. साथ ही राज्य सरकार के मुख्य स्थायी अधिवक्ता बिपिन बिहारी पांडेय को भी प्रमुख सचिव का हलफनामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है.

ज्ञानवापी हिंदुओं को सौंपने की याचिका पर अगली सुनवाई 30 नवंबर को
वाराणसी में ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले को लेकर सोमवार को जिला जज न्यायालय में सुनवाई हुई. यह सुनवाई 4 वादी महिलाओं के प्रार्थना पत्र पर हुई. जिसमें इन वादी महिलाओं ने सीनियर जज सिविल डिवीजन की अदालत में विश्व वैदिक सनातन संघ की तरफ से ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग के पूजा अधिकार और ज्ञानवापी मस्जिद में हिंदुओं के अधिकार को लेकर याचिका दायर की है. इस प्रार्थना पत्र के खिलाफ वादी पक्ष की सीता साहू , रेखा पाठक, लक्ष्मी देवी और मंजू व्यास की तरफ से प्रार्थना पत्र अभी आ गया है जिस पर अब अगली सुनवाई 30 नवंबर को होगी.

ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की नियमित पूजा के अधिकार के लिए वाराणसी की सिविल कोर्ट में मुकदमा पहले ही दाखिल किया गया है. मुकदमे में यह भी मांग की गई है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रह की सुरक्षा की व्यवस्था की जाए. इन्हीं 5 महिलाओं में से लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने जिला जज की कोर्ट में एप्लिकेशन दी है. चारों महिलाओं का कहना है कि दोनों मुकदमों में शामिल मूल मुद्दे समान और महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि वे पूरे हिंदू समुदाय की धार्मिक भावनाओं से संबंधित हैं इसलिए, उन्हें एक साथ सुना जाना चाहिए. एप्लिकेशन पर सुनवाई करते हुए जिला न्यायाधीश ने आदेश दिया है कि इसे प्रकीर्ण वाद के रूप में पंजीकृत किया जाए. साथ ही मामले से संबंधित विवरण जिला न्यायाधीश के न्यायालय को भेजा जाए.

ये भी पढ़ेंः जौहर विश्वविद्यालय से पुलिस बल हटाने की आजम खान की याचिका खारिज

Last Updated : Nov 21, 2022, 7:52 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.