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स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति मामले में कई अफसरों पर लटकी तलवार, गायब हो गई थीं फाइलें - LUCKNOW NEWS

स्वास्थ्य विभाग कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति मामले में अब सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को भी नए सिरे से नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है.

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लखनऊ स्वास्थय विभाग (photo credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 24, 2025, 6:42 PM IST

लखनऊ: स्वास्थ्य विभाग में 79 कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद अब उन्हें नियुक्ति करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी है. कई अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. ऐसे में उनकी खोजबीन की जा रही है, जिससे उनको नोटिस भेजा जा सके.

दरअसल, जिन कर्मियों का गलत तरीके से विनियमितीकरण किया था, उसमें ज्यादातर संबंधित अधिकारियों के घर में कार्य करते थे. मामले की जांच करने वाले तत्कालीन निदेशक (प्रशासन) डॉ. राजा गणपति आर ने शासन को भेजी गई रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों को दोषी करार दिया है. इसमें तत्कालीन निदेशक (संचारी) डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी भी हैं.

वह महानिदेशक परिवार कल्याण के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं. तत्कालीन अपर निदेशक डॉ. डीवी मिश्रा भी निदेशक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी अरुण प्रकाश सिन्हा अपर निदेशक कानपुर मंडल कार्यालय में कार्यरत हैं, जबकि मलेरिया यूनिट जवाहर भवन में कार्यरत जीसी जोशी भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वर्तमान में आजमगढ़ में कार्यरत वरिष्ठ सहायक प्रशांत श्रीवास्तव को भी दोषी बताए गए हैं.

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अधिकारियों को नोटिस भेजने की तैयारी: सूत्रों की मानें तो विभागीय अधिकारियों के घर में काम करने वाले कार्मिकों को नियमित करने के लिए विभाग में भी जमकर खींचतान चली थी. उस वक्त महानिदेशक पद के दो दावेदार थे, जिसमें एक ने इस फाइल पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था. ऐसे में तत्कालीन निदेशक संचारी के स्तर से ही फाइल शासन को भेजी गई. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तत्कालीन महानिदेशक से स्पष्ट अनुमोदन नहीं लिया था. मामले से एक बार फिर विभाग में हलचल मची है. सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को भी नए सिरे से नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है. इनका पता ढूंढा जा रहा है.

कई फाइलें गायब: जांच के दौरान विनियमितीकरण से संबंधित फाइलें गायब हो गई. कार्मिकों को उम्मीद थी कि फाइल गायब होने से जांच रुक जाएगी और उन पर कार्रवाई नहीं होगी. ऐसे में निदेशक (प्रशासन) ने अपर निदेशक को रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया. जांच अधिकारी ने सभी कर्मियों से हलफनामा लिया. उनसे उनके सभी प्रमाणपत्रों की मूल व स्व हस्ताक्षरित प्रति, कार्य करने की अवधि के संबंध में उनके बयान, कार्यभार ग्रहण करने संबंधित प्रमाणपत्र, तैनाती स्थल और स्थानांतरण विवरण लेने के बाद जांच पूरी की और रिपोर्ट शासन को भेजी.

यह भी पढ़ें - सीएमओ दफ्तर के अधिकारी ने दी महिला स्वास्थ्यकर्मी का सिर फोड़ने की धमकी, बना रहा था ऐसा दबाव - स्वास्थ विभाग यूपी

लखनऊ: स्वास्थ्य विभाग में 79 कर्मचारियों को बर्खास्त करने के बाद अब उन्हें नियुक्ति करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी है. कई अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. ऐसे में उनकी खोजबीन की जा रही है, जिससे उनको नोटिस भेजा जा सके.

दरअसल, जिन कर्मियों का गलत तरीके से विनियमितीकरण किया था, उसमें ज्यादातर संबंधित अधिकारियों के घर में कार्य करते थे. मामले की जांच करने वाले तत्कालीन निदेशक (प्रशासन) डॉ. राजा गणपति आर ने शासन को भेजी गई रिपोर्ट में संबंधित अधिकारियों को दोषी करार दिया है. इसमें तत्कालीन निदेशक (संचारी) डॉ. मिथिलेश चतुर्वेदी भी हैं.

वह महानिदेशक परिवार कल्याण के पद से सेवानिवृत्त हो चुकी हैं. तत्कालीन अपर निदेशक डॉ. डीवी मिश्रा भी निदेशक पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं. तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी अरुण प्रकाश सिन्हा अपर निदेशक कानपुर मंडल कार्यालय में कार्यरत हैं, जबकि मलेरिया यूनिट जवाहर भवन में कार्यरत जीसी जोशी भी सेवानिवृत्त हो चुके हैं. वर्तमान में आजमगढ़ में कार्यरत वरिष्ठ सहायक प्रशांत श्रीवास्तव को भी दोषी बताए गए हैं.

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अधिकारियों को नोटिस भेजने की तैयारी: सूत्रों की मानें तो विभागीय अधिकारियों के घर में काम करने वाले कार्मिकों को नियमित करने के लिए विभाग में भी जमकर खींचतान चली थी. उस वक्त महानिदेशक पद के दो दावेदार थे, जिसमें एक ने इस फाइल पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था. ऐसे में तत्कालीन निदेशक संचारी के स्तर से ही फाइल शासन को भेजी गई. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि तत्कालीन महानिदेशक से स्पष्ट अनुमोदन नहीं लिया था. मामले से एक बार फिर विभाग में हलचल मची है. सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को भी नए सिरे से नोटिस भेजने की तैयारी चल रही है. इनका पता ढूंढा जा रहा है.

कई फाइलें गायब: जांच के दौरान विनियमितीकरण से संबंधित फाइलें गायब हो गई. कार्मिकों को उम्मीद थी कि फाइल गायब होने से जांच रुक जाएगी और उन पर कार्रवाई नहीं होगी. ऐसे में निदेशक (प्रशासन) ने अपर निदेशक को रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया. जांच अधिकारी ने सभी कर्मियों से हलफनामा लिया. उनसे उनके सभी प्रमाणपत्रों की मूल व स्व हस्ताक्षरित प्रति, कार्य करने की अवधि के संबंध में उनके बयान, कार्यभार ग्रहण करने संबंधित प्रमाणपत्र, तैनाती स्थल और स्थानांतरण विवरण लेने के बाद जांच पूरी की और रिपोर्ट शासन को भेजी.

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