प्रयागराजः इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के निलंबित डॉक्टर कफील खान की याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया है. जस्टिस गौतम चौधरी की सिंगल बेंच ने फैसला सुरक्षित किया है.
डॉक्टर कफील पर सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. इस मामले में डॉक्टर कफील पर एनएसए भी लगा था. हाईकोर्ट ने पिछले साल ही डॉक्टर कफील पर लगे एनएसए को रद्द कर दिया था.
डॉक्टर कफील की याचिका में अलीगढ़ में दर्ज एफआईआर को भी रद्द किये जाने की मांग की गई है. याची के वकील की दलील थी कि चार्जशीट दाखिल करते वक्त शासन की अनुमति नहीं ली गई.
इसके पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद योगी सरकार ने डॉ. कफील खान के खिलाफ चल रही जांच वापस ले ली है. जिसके बाद यूपी कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के चेयरमैन शाहनवाज आलम ने योगी सरकार के लिए एक और शर्मिंदगी करार दिया है. प्रदेश कांग्रेस कार्यालय से जारी बयान में शाहनवाज आलम ने कहा कि अदालत का यह पूछना कि डॉ. कफील को चार वर्षों से निलंबित रखने का औचित्य क्या है. ये योगी सरकार के आपराधिक कार्यशैली को उजागर करता है.
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उन्होंने कहा कि 2019 में हुई पहली जांच में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों के मामले में डॉ. कफील के खिलाफ़ कोई सुबूत नहीं मिले थे, अब दूसरी जांच से भी योगी सरकार पीछे हट गई है. इसका सीधा मतलब है कि उन 60 मौतों के लिए योगी सरकार जिम्मेदार है, जिसने ऑक्सीजन की आपूर्ति ही नहीं की और लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया. शाहनवाज आलम ने कहा कि अदालत में योगी सरकार के बैकफुट पर आ गई है, ऐसे में अब सीएम योगी को चाहिए की वे व्यक्तिगत तौर पर डॉ. कफील से मिलकर या मीडिया के माध्यम से उनसे माफी मांग लें.