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इलाहाबाद हाईकोर्ट सख्त, कहा-विपरीत धर्म के शादीशुदा जोड़े की जिंदगी में न दे कोई दखल - न्यायमूर्ति दीपक वर्मा

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने विपरीत धर्मों के बालिग जोड़े की शादीशुदा (married couple of opposite religions) जिंदगी में किसी के हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी है. साथ ही पुलिस को उनकी सुरक्षा करने के निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने शिफा हसन व अन्य की याचिका पर दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
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Published : Sep 16, 2021, 10:58 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग-अलग धर्मों के बावजूद जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार (Fundamental Right) का हिस्सा है. किसी बालिग जोड़े को विभिन्न धर्मों (opposite religions) में अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है. संविधान भी किसी व्यक्ति आजादी रहने का अधिकार देता है. लिहाजा, विपरीत धर्मों के बालिग जोड़े की शादीशुदा जिंदगी में किसी हस्तक्षेप बर्दास्त नहीं किया जाएगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विपरीत धर्मों के बालिग जोड़े की शादीशुदा जिंदगी में किसी के हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी है. साथ ही पुलिस को उनकी सुरक्षा करने के निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि उनके माता-पिता को भी दोनों के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि विपरीत धर्म होने के बावजूद बालिग को अपनी पसंद से जीवन साथी चुनने का अधिकार है. उनके वैवाहिक संबंधों पर किसी को भी आपत्ति दर्ज करने का अधिकार नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने शिफा हसन व अन्य की याचिका पर दिया है. याची शिफा हसन ने हिंदू लडके से प्रेम विवाह किया. उन्होंने जिलाधिकारी को मुस्लिम से हिंदू धर्म अपनाने की अनुमति मांगी है. जिलाधिकारी ने पुलिस थाने से रिपोर्ट मांगी है.

इसे भी पढ़ें-मैनपुरी रेप केसः कोर्ट की डीजीपी को नसीहत, स्वर्ग कहीं और नहीं, अपने कर्मों का फल सभी को यहीं भोगना पड़ता है

पुलिस रिपोर्ट में लड़के के पिता शादी से राजी नहीं हैं. हालांकि मां अपनाने को राजी है. लड़की के माता-पिता दोनों ही राजी नहीं हैं. लिहाजा, नवदंपति ने जीवन को खतरे में देखते हुए हाईकोर्ट की शरण ली है और सुरक्षा की गुहार लगाई. जिस पर कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया है.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कहा है कि पार्टनर चुनने का अधिकार अलग-अलग धर्मों के बावजूद जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मूल अधिकार (Fundamental Right) का हिस्सा है. किसी बालिग जोड़े को विभिन्न धर्मों (opposite religions) में अपना जीवन साथी चुनने का अधिकार है. संविधान भी किसी व्यक्ति आजादी रहने का अधिकार देता है. लिहाजा, विपरीत धर्मों के बालिग जोड़े की शादीशुदा जिंदगी में किसी हस्तक्षेप बर्दास्त नहीं किया जाएगा.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विपरीत धर्मों के बालिग जोड़े की शादीशुदा जिंदगी में किसी के हस्तक्षेप करने पर रोक लगा दी है. साथ ही पुलिस को उनकी सुरक्षा करने के निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि उनके माता-पिता को भी दोनों के वैवाहिक जीवन में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि विपरीत धर्म होने के बावजूद बालिग को अपनी पसंद से जीवन साथी चुनने का अधिकार है. उनके वैवाहिक संबंधों पर किसी को भी आपत्ति दर्ज करने का अधिकार नहीं है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एम के गुप्ता तथा न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने शिफा हसन व अन्य की याचिका पर दिया है. याची शिफा हसन ने हिंदू लडके से प्रेम विवाह किया. उन्होंने जिलाधिकारी को मुस्लिम से हिंदू धर्म अपनाने की अनुमति मांगी है. जिलाधिकारी ने पुलिस थाने से रिपोर्ट मांगी है.

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पुलिस रिपोर्ट में लड़के के पिता शादी से राजी नहीं हैं. हालांकि मां अपनाने को राजी है. लड़की के माता-पिता दोनों ही राजी नहीं हैं. लिहाजा, नवदंपति ने जीवन को खतरे में देखते हुए हाईकोर्ट की शरण ली है और सुरक्षा की गुहार लगाई. जिस पर कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया है.

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