प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आपराधिक केस में अभियुक्त किशोर और बच्चों की पहचान का खुलासा करने पर रोक लगा दिया है. उन्होंने कहा कि ऐसे किशोर जिन्होंने कानून का उल्लंघन किया है, उनकी पहचान का खुलासा किसी भी आदेश और फैसले में नहीं होना चाहिए. ऐसा करना उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है.
कोर्ट ने महानिबंधक कार्यालय को किशोर अपराध के आरोपी की पहचान को सभी रिकॉर्डों से हटाने का निर्दश दिया है. ये आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार पचौरी ने पिता के मार्फत दाखिल पुनरीक्षण याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है. जमानत अर्जी खारिज करने के किशोर न्याय बोर्ड और स्पेशल जज पॉक्सो एक्ट बागपत के आदेशों को याचिका में चुनौती दी गई है.
कोर्ट ने किशोर की सशर्त जमानत मंजूर कर ली है. कोर्ट ने कहा कि मौजूदा आदेश में किशोर की पहचान का खुलासा किया गया है. ये किशोर की निजता और गोपनीयता का उल्लंघन है.
इसे भी पढ़ें- आजमगढ़ के मुबारकपुर में गरजे ओवैसी, सपा और बसपा पर जमकर निकाली भड़ास
मामले के अनुसार तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. जिसमें आरोप था कि पीड़ित कॉलेज परिसर में खड़ी थी. जहां उसे आरोपियों ने गोली मार दी. गोली लगने के बाद उसे अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गई. क्योंकि वो घटना के समय सिर्फ 15 साल 6 महीने 18 दिन का था. इसलिए किशोर न्याय बोर्ड ने आरोपी को किशोर घोषित किया. बोर्ड ने जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अपीलीय कोर्ट ने भी किशोर न्याय बोर्ड के आदेश को बरकरार रखा है. दोनों आदेशों को याचिका में चुनौती दी गई थी.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप