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पेंशन भुगतान मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने CMO व निदेशक को दिया तीन माह का वक्त

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Published : Sep 13, 2021, 10:31 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) जौनपुर व निदेशक पेंशन लखनऊ को तीन माह में याची को पारिवारिक पेंशन तथा उसके पति का बकाया वेतन, पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने सुमित्रा सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

इलाहाबाद कोर्ट ने पारिवारिक पेंशन पर दिया फैसला
इलाहाबाद कोर्ट ने पारिवारिक पेंशन पर दिया फैसला

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सीएमओ जौनपुर व निदेशक पेंशन लखनऊ को तीन माह में याची को पारिवारिक पेंशन व उसके पति का बकाया वेतन-पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने सुमित्रा सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया का कहना था कि याची के पति खाद्य निरीक्षक थे. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई. 8 सितंबर 1993 को निलंबित कर दिया गया. प्रकरण में कोई चार्जशीट नहीं दी गई. वह 31 मार्च 1994 को सेवानिवृत्त हो गए. अंतरिम पेंशन तय की गई. याची के पति की 19 फरवरी 2016 को मौत हो गई. इसके बाद याची ने निलंबन काल का बकाया वेतन, बकाया पूरी पेंशन और याची पति की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन का दावा किया.

इसे भी पढ़ें-जल्द रिहा हो सकते हैं अब्दुल्ला आजम खान, ये शर्त पूरी होने पर ही आएंगे सलाखों से बाहर

कोर्ट ने याची के पति को निलंबन काल का बकाया वेतन पाने का हकदार माना और कहा एससीआर रेग्यूलेशन-351 के तहत मौत के बाद कोई आपराधिक अथवा विभागीय कार्रवाई नहीं चल सकती. इसलिए याची बकाया वेतन, पेंशन आदि पाने का हकदार है. कोर्ट ने कहा कि भुगतान की गई राशि की कटौती कर बकाये का भुगतान किया जाए.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने सीएमओ जौनपुर व निदेशक पेंशन लखनऊ को तीन माह में याची को पारिवारिक पेंशन व उसके पति का बकाया वेतन-पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने सुमित्रा सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.

न्यायमूर्ति पंकज भाटिया का कहना था कि याची के पति खाद्य निरीक्षक थे. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में एफआईआर दर्ज कराई गई. 8 सितंबर 1993 को निलंबित कर दिया गया. प्रकरण में कोई चार्जशीट नहीं दी गई. वह 31 मार्च 1994 को सेवानिवृत्त हो गए. अंतरिम पेंशन तय की गई. याची के पति की 19 फरवरी 2016 को मौत हो गई. इसके बाद याची ने निलंबन काल का बकाया वेतन, बकाया पूरी पेंशन और याची पति की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन का दावा किया.

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कोर्ट ने याची के पति को निलंबन काल का बकाया वेतन पाने का हकदार माना और कहा एससीआर रेग्यूलेशन-351 के तहत मौत के बाद कोई आपराधिक अथवा विभागीय कार्रवाई नहीं चल सकती. इसलिए याची बकाया वेतन, पेंशन आदि पाने का हकदार है. कोर्ट ने कहा कि भुगतान की गई राशि की कटौती कर बकाये का भुगतान किया जाए.

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