ETV Bharat / state

शादीशुदा या अविवाहित बालिगों को एक साथ रहने का अधिकार: हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि शादीशुदा या अविवाहित बालिगों को एकसाथ रहने का अधिकार है. हाईकोर्ट ने कहा कि जबरन धर्मांतरण नहीं तो शादीशुदा जोड़े की सुरक्षा के लिए पुलिस बाध्य है. पुलिस अधिकारी को प्रमाण के लिए ऐसे युगल को बाध्य नहीं करना चाहिए.

author img

By

Published : Jun 13, 2021, 3:26 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि धर्म परिवर्तन करके शादी करने वाले बालिगों को सुरक्षा प्रदान करने में धर्मांतरण महत्वपूर्ण तथ्य नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यदि धर्मांतरण जबरन कराने का आरोप नहीं है तो ऐसे युगल को सुरक्षा मुहैया कराना पुलिस व प्रशासन की बाध्यता है. कोर्ट ने कहा कि यद‌ि दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं या नहीं भी की, तब भी उन्हें साथ रहने का अधिकार है. भले ही उनके पास विवाह का प्रमाण नहीं है. पुलिस अधिकारी को प्रमाण के लिए ऐसे युगल को बाध्य नहीं करना चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार 20 वर्षीय याची ने धर्म परिवर्तन के बाद 40 वर्षीय अधेड़ व्यक्ति से 11 फरवरी 2021 को शादी की. उसने याचिका दाखिल कर परिवार वालों पर परेशान करने और धमकाने का आरोप लगाया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में कानूनी स्थिति स्पष्ट है. दो बालिग स्त्री-पुरुष अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं चाहे वे किसी भी जाति या धर्म को मानने वाले हों. सुप्रीम कोर्ट ने लता सिंह केस में स्पष्ट निर्देश दिया है कि अपनी मर्जी से अंतर धार्मिक या अंतर जातीय विवाह करने वाले बालिगों को किसी भी तरह परेशान न किया जाए न ही धमकाया जाए. उनके साथ कोई हिंसक कृत्य न किया जाए. साथ ही ऐसा करने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करना पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है.

इसे भी पढ़ें:- खुशी दुबे की मां ने कहा- मेरी निर्दोष बेटी पर तरस खाए योगी सरकार

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर बाध्यकारी है. याची के जीवन और स्वतंत्रता को वास्तव में खतरा है तो वह संबंधित जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत करें और पुलिस उन्हें सुरक्षा दे. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याची को सुरक्षा देने में यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि उसने धर्म परिवर्तन किया है. यदि उनके पास शादी का प्रमाण नहीं है या उन्होंने शादी नहीं भी की है तब भी वे एकसाथ रह सकते हैं. सुरक्षा देने वाले पुलिस अधिकारी याचियों को विवाह का प्रमाण दिखाने के लिए बाध्य न करें.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि धर्म परिवर्तन करके शादी करने वाले बालिगों को सुरक्षा प्रदान करने में धर्मांतरण महत्वपूर्ण तथ्य नहीं है. कोर्ट ने कहा कि यदि धर्मांतरण जबरन कराने का आरोप नहीं है तो ऐसे युगल को सुरक्षा मुहैया कराना पुलिस व प्रशासन की बाध्यता है. कोर्ट ने कहा कि यद‌ि दो बालिग अपनी मर्जी से शादी कर रहे हैं या नहीं भी की, तब भी उन्हें साथ रहने का अधिकार है. भले ही उनके पास विवाह का प्रमाण नहीं है. पुलिस अधिकारी को प्रमाण के लिए ऐसे युगल को बाध्य नहीं करना चाहिए. यह आदेश न्यायमूर्ति सलिल कुमार राय ने दिया है.

मामले के तथ्यों के अनुसार 20 वर्षीय याची ने धर्म परिवर्तन के बाद 40 वर्षीय अधेड़ व्यक्ति से 11 फरवरी 2021 को शादी की. उसने याचिका दाखिल कर परिवार वालों पर परेशान करने और धमकाने का आरोप लगाया. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में कानूनी स्थिति स्पष्ट है. दो बालिग स्त्री-पुरुष अपनी मर्जी से शादी कर सकते हैं चाहे वे किसी भी जाति या धर्म को मानने वाले हों. सुप्रीम कोर्ट ने लता सिंह केस में स्पष्ट निर्देश दिया है कि अपनी मर्जी से अंतर धार्मिक या अंतर जातीय विवाह करने वाले बालिगों को किसी भी तरह परेशान न किया जाए न ही धमकाया जाए. उनके साथ कोई हिंसक कृत्य न किया जाए. साथ ही ऐसा करने वाले के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करना पुलिस और प्रशासन की जिम्मेदारी है.

इसे भी पढ़ें:- खुशी दुबे की मां ने कहा- मेरी निर्दोष बेटी पर तरस खाए योगी सरकार

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर बाध्यकारी है. याची के जीवन और स्वतंत्रता को वास्तव में खतरा है तो वह संबंधित जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत करें और पुलिस उन्हें सुरक्षा दे. कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याची को सुरक्षा देने में यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि उसने धर्म परिवर्तन किया है. यदि उनके पास शादी का प्रमाण नहीं है या उन्होंने शादी नहीं भी की है तब भी वे एकसाथ रह सकते हैं. सुरक्षा देने वाले पुलिस अधिकारी याचियों को विवाह का प्रमाण दिखाने के लिए बाध्य न करें.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.