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महाकुंभ 2025 में दिखेगा अलीगढ़ के कैदियों का हुनर; बंदियों के बनाए ताले-शिविलंग की लगेगी प्रदर्शनी - MAHA KUMBH 2025

अलीगढ़ की जेल में बंद कैदी ताले, कीरिंग, ओम का चिह्न, शिवलिंग, गदा आदि बना रहे हैं. महाकुंभ से कैदियों को एक नई पहचान मिलेगी.

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अलीगढ़ की जेल में महाकुंभ 2025 के लिए तालों का निर्माण करते कैदी. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 1, 2025, 5:02 PM IST

अलीगढ़: प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ 2025 को लेकर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के साथ पूरे देश में तैयारियां चल रही हैं. इस महाकुंभ की खास बात यह होगी कि इसमें जेल में बंद कैदियों का हुनर भी दिखाई देगा. अलीगढ़ जेल में बंद कैदियों का हुनर महाकुंभ की शान बनेगा. अलीगढ़ के मजबूत तालों समेत लकड़ी के विभिन्न सामान कैदी बना रहे हैं, जिनको महाकुंभ में प्रदर्शित किया जाएगा.

अलीगढ़ की जेल में बंद कैदी ताले, कीरिंग, ओम का चिह्न, शिवलिंग, गदा आदि बना रहे हैं. महाकुंभ के इस आयोजन से अलीगढ़ के कैदियों को एक नई पहचान मिलेगी. यह न केवल उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन होगा, बल्कि उनके पुनर्वास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ में श्रद्धालु विशेष रूप से तैयार किए गए अलीगढ़ के प्रसिद्ध ताले खरीद पाएंगे.

अलीगढ़ जेल सुपरिंटेंडेंट विजेंद्र सिंह यादव ने कैदियों के हुनर के बारे में दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

कैदियों के इस काम को सराहते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह केवल ताले बनाने तक सीमित नहीं है. यह पहल कैदियों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में दोबारा अपनी जगह बनाने का अवसर प्रदान करती है. कारागार में हर दिन लगभग 1200 ताले तैयार किए जा रहे हैं. इन तालों को महाकुंभ में सस्ते दामों पर बेचा जाएगा.

अलीगढ़ जेल सुपरिंटेंडेंट विजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि महाकुंभ में जेल विभाग का एक स्टॉल लगेगा. इस स्टॉल पर न केवल ताले, बल्कि कैदियों द्वारा बनाए गए लकड़ी के विभिन्न सामान भी प्रदर्शित किए जाएंगे. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इन सामानों को खरीद सकेंगे. कैदियों को सामान बनाने का मेहनताना भी दिया जाता है. इन पैसों को वह अपने परिवार वालों को भी दे सकते हैं. जेल के अंदर कैदियों को 50 से लेकर 80 रुपए प्रतिदिन दिया जाता है.

उम्र कैद की सजा काट रहे विनोद कुमार ने बताया कि उन्होंने जेल में ही ताला बनाने की कला सीखी है. यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे बनाए ताले देश और विदेश में प्रसिद्ध हो रहे हैं. महाकुंभ में इनके प्रदर्शन से हमारा मनोबल और बढ़ेगा. जेल प्रशासन ने उन्हें यह अवसर दिया है, जिससे वह अपने जीवन को एक नई दिशा दे पा रहे हैं. यह काम न केवल उनके समय का सदुपयोग करता है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाता है.

कैदियों ने इस पहल को अपने जीवन में बदलाव का एक अहम कदम बताया है. उनका कहना है कि इस प्रयास से न केवल उनके कौशल को पहचान मिली है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान पाने की उम्मीद भी बढ़ी है.

ये भी पढ़ेंः महाकुंभ 2025; जरूरत पड़ी तो पानी में भी दौड़ेंगे अमेरिका-इंग्लैंड के घोड़े, भीड़ नियंत्रण के लिए दिया जा रहा प्रशिक्षण

अलीगढ़: प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ 2025 को लेकर प्रदेश के अलग-अलग शहरों के साथ पूरे देश में तैयारियां चल रही हैं. इस महाकुंभ की खास बात यह होगी कि इसमें जेल में बंद कैदियों का हुनर भी दिखाई देगा. अलीगढ़ जेल में बंद कैदियों का हुनर महाकुंभ की शान बनेगा. अलीगढ़ के मजबूत तालों समेत लकड़ी के विभिन्न सामान कैदी बना रहे हैं, जिनको महाकुंभ में प्रदर्शित किया जाएगा.

अलीगढ़ की जेल में बंद कैदी ताले, कीरिंग, ओम का चिह्न, शिवलिंग, गदा आदि बना रहे हैं. महाकुंभ के इस आयोजन से अलीगढ़ के कैदियों को एक नई पहचान मिलेगी. यह न केवल उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन होगा, बल्कि उनके पुनर्वास की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा. प्रयागराज में आयोजित होने वाले महाकुंभ में श्रद्धालु विशेष रूप से तैयार किए गए अलीगढ़ के प्रसिद्ध ताले खरीद पाएंगे.

अलीगढ़ जेल सुपरिंटेंडेंट विजेंद्र सिंह यादव ने कैदियों के हुनर के बारे में दी जानकारी. (Video Credit; ETV Bharat)

कैदियों के इस काम को सराहते हुए अधिकारियों ने बताया कि यह केवल ताले बनाने तक सीमित नहीं है. यह पहल कैदियों को आत्मनिर्भर बनने और समाज में दोबारा अपनी जगह बनाने का अवसर प्रदान करती है. कारागार में हर दिन लगभग 1200 ताले तैयार किए जा रहे हैं. इन तालों को महाकुंभ में सस्ते दामों पर बेचा जाएगा.

अलीगढ़ जेल सुपरिंटेंडेंट विजेंद्र सिंह यादव ने बताया कि महाकुंभ में जेल विभाग का एक स्टॉल लगेगा. इस स्टॉल पर न केवल ताले, बल्कि कैदियों द्वारा बनाए गए लकड़ी के विभिन्न सामान भी प्रदर्शित किए जाएंगे. महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु इन सामानों को खरीद सकेंगे. कैदियों को सामान बनाने का मेहनताना भी दिया जाता है. इन पैसों को वह अपने परिवार वालों को भी दे सकते हैं. जेल के अंदर कैदियों को 50 से लेकर 80 रुपए प्रतिदिन दिया जाता है.

उम्र कैद की सजा काट रहे विनोद कुमार ने बताया कि उन्होंने जेल में ही ताला बनाने की कला सीखी है. यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे बनाए ताले देश और विदेश में प्रसिद्ध हो रहे हैं. महाकुंभ में इनके प्रदर्शन से हमारा मनोबल और बढ़ेगा. जेल प्रशासन ने उन्हें यह अवसर दिया है, जिससे वह अपने जीवन को एक नई दिशा दे पा रहे हैं. यह काम न केवल उनके समय का सदुपयोग करता है, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाता है.

कैदियों ने इस पहल को अपने जीवन में बदलाव का एक अहम कदम बताया है. उनका कहना है कि इस प्रयास से न केवल उनके कौशल को पहचान मिली है, बल्कि उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान पाने की उम्मीद भी बढ़ी है.

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