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भदोही विधायक विजय मिश्रा के बेटे विष्णु को नहीं मिली राहत

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Published : Jan 11, 2021, 9:36 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र के बेटे विष्णु मिश्र की भदोही के अलावा अन्य किसी जिले की अदालत में समर्पण करने की इजाजत की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट.
इलाहाबाद हाईकोर्ट.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र के बेटे विष्णु मिश्र की भदोही के अलावा अन्य किसी जिले की अदालत में समर्पण करने की इजाजत की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने दिया है. याचिका पर अपर शासकीय अधिवक्ता एके संड ने प्रतिवाद किया था.

याची और अन्य के खिलाफ फर्जी वसीयत तैयार कर संपत्ति पर कब्जा करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में गोपीगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. इसी मामले में याची की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है. कोर्ट ने एक मुकदमे में सक्षम अदालत में हाजिर होने को कहा, लेकिन वह हाजिर नहीं हो सका. इस पर उसके विरुद्ध आईपीसी की धारा 174ए के तहत एक और मुकदमा दर्ज किया गया. इसके बाद याची ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट ने याची को सक्षम अदालत में सरेंडर करने को कहा.

सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि याची इस याचिका के माध्यम से सर्वोच्च अदालत के आदेश को संशोधित कराना चाहता है. इसके बाद याची की ओर से याचिका वापस लेने की बात कही गई. इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वापस लेने के आधार पर याचिका खारिज कर दी.

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानपुर विधायक विजय मिश्र के बेटे विष्णु मिश्र की भदोही के अलावा अन्य किसी जिले की अदालत में समर्पण करने की इजाजत की मांग में दाखिल याचिका खारिज कर दी है. यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की खंडपीठ ने दिया है. याचिका पर अपर शासकीय अधिवक्ता एके संड ने प्रतिवाद किया था.

याची और अन्य के खिलाफ फर्जी वसीयत तैयार कर संपत्ति पर कब्जा करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में गोपीगंज थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है. इसी मामले में याची की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है. कोर्ट ने एक मुकदमे में सक्षम अदालत में हाजिर होने को कहा, लेकिन वह हाजिर नहीं हो सका. इस पर उसके विरुद्ध आईपीसी की धारा 174ए के तहत एक और मुकदमा दर्ज किया गया. इसके बाद याची ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. सुप्रीम कोर्ट ने याची को सक्षम अदालत में सरेंडर करने को कहा.

सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि याची इस याचिका के माध्यम से सर्वोच्च अदालत के आदेश को संशोधित कराना चाहता है. इसके बाद याची की ओर से याचिका वापस लेने की बात कही गई. इस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वापस लेने के आधार पर याचिका खारिज कर दी.

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