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स्वतंत्रता सेनानी आश्रितों को पंचायत चुनाव में आरक्षण की याचिका खारिज - हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया

उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रितों के लिए सीट आरक्षण की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है.

स्वतंत्रता सेनानी आश्रितों को पंचायत चुनाव में आरक्षण की याचिका खारिज.
स्वतंत्रता सेनानी आश्रितों को पंचायत चुनाव में आरक्षण की याचिका खारिज.
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Published : Feb 10, 2021, 12:07 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित को आरक्षण की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 243डी के तहत पंचायतों में केवल अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए सीट आरक्षण की व्यवस्था की गयी है, अन्य किसी वर्ग के लिए नही है. ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित के लिए पंचायत चुनावो में आरक्षण की मांग करने का कोई वैधानिक आधार नही है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अजय पाल सिंह की याचिका पर दिया है. याची ने अलीगढ़ की गैंगिरी प्रथम जिला पंचायत और ब्लॉक बिजौली की ग्राम पंचायत दादौन में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित के लिए सीट आरक्षण की मांग की थी. जिस पर कोर्ट ने विधिक व्यवस्था न होने के कारण हस्तक्षेप से इंकार कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) में सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को उच्च शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण का उपबंध है. उप्र क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत अधिनियम 1961 में जिला, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों में सामुदायिक प्रतिनिधित्व देने के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की गयी है. इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए ही सीटों के आरक्षण का उपबंध है, अन्य किसी वर्ग के लिए नही है. ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित को आरक्षण की मांग करने का विधिक आधार नही है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित को आरक्षण की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 243डी के तहत पंचायतों में केवल अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए सीट आरक्षण की व्यवस्था की गयी है, अन्य किसी वर्ग के लिए नही है. ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित के लिए पंचायत चुनावो में आरक्षण की मांग करने का कोई वैधानिक आधार नही है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी तथा न्यायमूर्ति डॉ. वाईके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने अजय पाल सिंह की याचिका पर दिया है. याची ने अलीगढ़ की गैंगिरी प्रथम जिला पंचायत और ब्लॉक बिजौली की ग्राम पंचायत दादौन में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित के लिए सीट आरक्षण की मांग की थी. जिस पर कोर्ट ने विधिक व्यवस्था न होने के कारण हस्तक्षेप से इंकार कर दिया.

कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) में सामाजिक आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को उच्च शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण का उपबंध है. उप्र क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत अधिनियम 1961 में जिला, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों में सामुदायिक प्रतिनिधित्व देने के लिए सीटों के आरक्षण की व्यवस्था की गयी है. इसमें एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए ही सीटों के आरक्षण का उपबंध है, अन्य किसी वर्ग के लिए नही है. ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी आश्रित को आरक्षण की मांग करने का विधिक आधार नही है.

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